Dhanteras 2023 : जानिए धनतेरस की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Dhanteras 2023 : इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 10 नवंबर, 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी, गणेशजी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज जी की पूजा का विधान है।

Dhanteras 2023 : इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 10 नवंबर, 2023 को दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन नए बर्तन और आभूषण खरीदने की परंपरा है। इसी दिन से दिवाली महापर्व की शुरुआत हो जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी, गणेशजी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज जी की पूजा का विधान है। धनतेरस पूजा के लिए प्रदोष काल को अतिशुभ माना जाता है।

तो आइए, यहां जानते हैं कि वर्ष 2023 में धनतेरस कब मनाया जाएगा? साथ ही जानेंगे कि इस वर्ष धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है। 

वर्ष 2023 में धनतेरस पूजा मुहूर्त (dhanteras puja muhurat 2023)

धनतेरस 2023 की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:47 मिनट से लेकर शाम 07:43 मिनट तक है। 

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आइए, अब जान लेते हैं कि धनतेरस पूजा में किन-किन सामाग्री की जरूरत पड़ेगी। 

धनतेरस पूजा सामग्री लिस्ट (dhanteras pooja samagri)

  • चौकी
  • चौकी स्थापना के स्थान पर स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत/आटा
  • चौकी पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र
  • चौकी को शुद्ध करने के लिए गंगाजल
  • माता लक्ष्मी, गणेशजी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज जी की तस्वीर या मूर्ति
  • पूजा की थाली
  • सुपारी
  • कुबेर यंत्र 
  • कलश
  • मौली या कलावा
  • मिट्टी के बड़े दीपक
  • सरसों का तेल
  • 13 मिट्टी के दीपक और बाती
  • कौड़ी
  • सिक्का
  • गुड़/शक्कर
  • चंदन
  • कुमकुम और हल्दी
  • अक्षत
  • रोली या अबीर
  • गुलाल
  • लाल और पीले पुष्प
  • पुष्प माला
  • धुप-अगरबत्ती
  • चढ़ावा (खील-बताशा, धनिया के बीज, नए बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग – जो आपकी क्षमता के अनुसार उपलब्ध हो)
  • सीजनल फल
  • मिष्ठान्न
  • ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची)
  • क्षमतानुसार दक्षिणा
  • कर्पूर इत्यादि। 

इसके साथ ही आप अपने क्षेत्रीय परम्परा के अनुसार भी धनतेरस पूजन सामग्री  (dhanteras pooja samagri) बढ़ा-घटा सकते हैं। 

यदि आप किसी पुरोहित या पुजारी से धनतेरस की पूजा करा रहे हैं तो आप उनके अनुसार पूजन सामाग्री लिस्ट बना सकते हैं। 

धनतेरस पूजा की तैयारी 

  • सबसे पहले धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। 
  • इसके बाद साफ वस्त्र पहनें और शुद्ध जल से भगवान भास्कर को अर्घ्य दें। 
  • इस दिन किसी जरूरतमंद को दान अवश्य करें।
  • धनतेरस के दिन में अपनी क्षमतानुसार कोई भी शुभ वस्तु खरीदें। 

धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)

  • संध्या में प्रदोष काल में पूजा की तैयारी शुरू करें।
  • इस वर्ष धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:47 मिनट से लेकर शाम 07:43 मिनट तक है। 
  • पूजा स्थल को साफ करके आटे या चावल की मदद से अल्पना उकेरें। 
  • ईशान कोण या पूर्व दिशा में चौकी की स्थापना करें। 
  • आप चाहे तो यहां स्वस्तिक भी बना सकते हैं।
  • अब यहां चौकी स्थापित करें और इस पर एक साफ लाल वस्त्र बिछाएं। 
  • अब सभी भगवानों के आसन के स्वरूप में इस पर अक्षत डालें। 
  • इस चौकी पर माता लक्ष्मी को स्थापित करें।
  • साथ ही कुबेर यंत्र को कुबेर देवता के रूप में, और एक सुपारी को श्री गणेश के रूप में स्थापित करें।
  • अब एक कलश में जल भरें। इसकी ग्रीवा पर कलावा बांधें। 
  • अब चौकी पर कुछ अक्षत डालकर यहां इस कलश को स्थापित करें।
  • इसके मुख पर एक बड़ा दीपक रखें और इसे प्रज्वलित करें। यह जल कलश भगवान धन्वंतरि का स्वरूप है।
  • आप भगवान धन्वंतरि जी का प्रतिमा या फोटो भी रख सकते हैं।
  • यमराज देवता की पूजा के लिए एक बड़ा मिट्टी का दीपक लें। 
  • इसमें एक कौड़ी, एक सिक्का और भोग के रूप में थोड़ा सा गुड़ या शक्कर डालें। 
  • इसे सरसों के तेल से भरकर इसमें 3 या 4 रुई की बातियां रखके इसे जलाएं।
  • 13 मिट्टी के दीपक प्रज्वलित करने के लिए पूजा की चौकी के पास रखें।
  • अब जल पात्र से 3 बार आचमन विधि करें, और चौथी बार बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर हाथ साफ करें। 
  • इसके बाद स्वस्तिवाचन मन्त्र का उच्चारण करें।
  • अब प्रथम पूज्य श्री गणेश, माता लक्ष्मी, कुबेर देव, यमदीप और जलकलश पर गंगाजल छिड़कें।
  • इसके बाद हल्दी, कुमकुम, रोली, चंदन आदि से पंचोपचार की क्रिया पूरी करें। चौकी पर विराजमान देवों को कलावा अर्पित करें। 
  • कौड़ी और सिक्का माता के चरणों में भी रखें।
  • इसके बाद सभी भगवानों को अबीर, गुलाल और अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं, और धुप-अगरबत्ती और दीपक जलाएं। 
  • धनतेरस के दिन जो भी सामग्री खरीदी है, उसे पूजा में चौकी के पास अवश्य रखें। 
  • खील-बताशा और धनिया भी माता लक्ष्मी को धनतेरस के दिन अवश्य चढ़ाएं।
  • सोने- चांदी के आभूषण, सिक्के, बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग आदि भी पूजा में अवश्य रखें।
  • चांदी या अन्य किसी भी धातु की साफ कटोरी में खीर और फल-मिष्ठान्न का भोग लगाएं।
  • ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची) चढ़ाएं। अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा भी रखें। 
  • इसके बाद दाएं हाथ में पुष्प लेकर चौकी पर विराजित सभी देवों से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्ध जीवन की कामना करें। 
  • अब कर्पूर से आरती करें और सबमें प्रसाद वितरित करें।
  • मृत्युदेव यमराज जी के लिए जो दीपक आपने जलाया है, उसे ले जाकर अपने घर की दक्षिण दिशा में रखें। 
  • यह दीपक को जलाकर घर के भीतर नहीं रखा जाता है, इसीलिए इसे घर के बाहर दहलीज पर भी रखा जा सकता है।
  • अगले दिन कलश का जल तुलसी को अर्पित कर दें।

 

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