चेतना काफी नजदीक, बोरवेल में उतरी टीम का दावा, 170 फीट गहराई में सुरंग खोद रहे जवान, 7 दिन से फंसी है 3 साल की मासूम

कोटपूतली में बच्ची के बोरवेल में फंसने का मामला: 7 दिन बाद भी रेस्क्यू जारी

कोटपूतली/जयपुर संभाग के कोटपूतली-बहरोड़ (राठक्षेत्र) जिले में स्थित कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन वर्षीय चेतना को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेज हो गया है। रेस्क्यू टीमों ने करीब 170 फीट की गहराई तक पहुंच बनाई है। टीम के कमांडर का दावा है कि चेतना को जल्द ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। हालांकि, 10 फीट की सुरंग खोदने में 6 जवानों की टीम को 24 घंटे से ज्यादा का वक्त लग चुका है।

चेतना की हालत पर अधिकारी चुप

चेतना पिछले 7 दिनों से बोरवेल में फंसी हुई है। उसकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर अधिकारी कोई जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने इसे राजस्थान का सबसे कठिन ऑपरेशन बताया है। वहीं, चेतना के परिवार और ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

चेतना काफी नजदीक, बोरवेल में उतरी टीम का दावा

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कैसे हुआ हादसा?

सोमवार, 23 दिसंबर को दोपहर 2 बजे चेतना खेलते-खेलते बोरवेल में गिर गई थी। वह करीब 150 फीट की गहराई में फंसी थी। प्रारंभिक प्रयासों में चार देसी जुगाड़ों से उसे केवल 30 फीट ऊपर खींचा जा सका। इसके बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है।

चेतना को पानी तक नहीं पहुंचाया गया

बोरवेल में गिरने के बाद से ही चेतना को पानी या भोजन नहीं पहुंचाया जा सका है। मंगलवार, 24 दिसंबर की शाम से चेतना में किसी भी प्रकार का मूवमेंट नहीं देखा गया है। इसके अलावा, कैमरे के जरिए चेतना की स्थिति का हाल जानने की कोशिशें भी नाकाम रहीं।

चेतना काफी नजदीक, बोरवेल में उतरी टीम का दावा

प्रशासन की देरी पर उठ रहे सवाल

पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि शुरुआत में देरी के कारण ऑपरेशन में मुश्किलें बढ़ गईं। उन्होंने कहा, “घटना के तुरंत बाद ऑपरेशन युद्ध स्तर पर शुरू हो जाता तो बेहतर परिणाम देखने को मिलते। जो तैयारी अब की गई है, उसे 6 दिन पहले करना चाहिए था। जिला कलेक्टर को घटना स्थल पर पहुंचने में 3 दिन लग गए, जो बेहद शर्मनाक है।”

रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौती

टीमों को बोरवेल के संकीर्ण रास्ते और अंदर की मिट्टी की स्थिति के कारण भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 170 फीट की गहराई तक खुदाई के बाद भी चेतना तक पहुंचने के लिए और समय लगने की संभावना है।

ग्रामीणों का प्रशासन पर गुस्सा

चेतना के परिवार और ग्रामीणों ने प्रशासन की लापरवाही पर नाराज़गी जताई। उनका कहना है कि यदि ऑपरेशन जल्दी शुरू किया जाता, तो शायद स्थिति बेहतर होती। चेतना को बचाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की देरी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

कोटपूतली में चल रहा यह रेस्क्यू ऑपरेशन राजस्थान के सबसे कठिन ऑपरेशनों में से एक बन गया है। चेतना को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही चेतना को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।

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