Hariyali Teej 2023 Date : सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुखी दांपत्य जीवन, प्रेम और सुख-समृद्धि की कामना के लिए हर साल हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने मे पड़ने वाली हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का दोबारा से मिलन हुआ था। इसी के चलते हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन सुहागिन महिलाएं तीज का व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करते हुए विधि-विधान से व्रत का पालन करते हुए पूजा-पाठ करती हैं। आइए जानते हैं इस साल हरियाली तीज कब मनाई जाएगी, इसका क्या महत्व है और पूजा शुभ मुहूर्त।
कब है हरियाली तीज
सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना होता है। सावन में शिव उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी होती हैं। इस साल सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। हरियाली तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है क्योंकि इस पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हुए अपने सुहाग की लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है।
हरियाली तीज 2023 शुभ मुहूर्त( Hariyali Teej Puja Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस तृतीया तिथि 18 अगस्त 2023 को रात 08 बजकर 01 मिनट से शुरू हो जाएगी। इसका समापन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में आइए जानते हैं पूजा के लिए कब-कब मुहूर्त है।
सुबह का मुहूर्त – सुबह 7 बजकर 47 मिनट से 09 बजकर 22 मिनट तक
दोपहर का मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजकर 07 मिनट तक
शाम का मुहूर्त- शाम 06 बजकर 52 मिनट से रात 07 बजकर 15 मिनट तक
रात का मुहूर्त- रात 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
हरियाली तीज पूजा विधि (Hariyali Teej Vrat Puja Vidhi)
सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का महत्व काफी होता है। यह त्योहार सुखी दांपत्य जीवन और प्रेम का प्रतीक है। इसमें महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना करते हुए लोक गीत गाते हुए झूले धूलती हैं। हरियाली तीज पर नवविवाहित लड़की की ससुराल से नए वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार की चीजें और मिठाईयां भेजी जाती हैं।
हरियाली तीज का महत्व (Hariyali Teej Significance)
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसलिए विवाहित महिलाएं इस व्रत को अखंड सुहाग की कामना से और कुंवारी लड़कियां योग्य वर प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं। मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती ने 108 वें जन्म के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। करवा चौथ की तरह ये व्रत भी सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु,दांपत्य जीवन में प्रेम तथा भाग्योदय के लिए निर्जला व्रत करती हैं। अखंड सौभाग्य की कामना से इस दिन भगवान शिव,तीज माता का स्वरुप देवी पार्वती,नंदी और कार्तिकेय के साथ-साथ श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।
Hariyali Teej 2023 Date : कब है हरियाली तीज जानिए तिथि मुहूर्त और महत्व.
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