परमात्मा के प्रति आपका भाव होना चाहिए, उनके स्मरण मात्र से ही मनुष्य के सर्व काम सिद्ध होते है- महामंडलेश्वर ईश्वरानन्द ब्रह्मचारी ध्यान योगी महर्षि उत्तम स्वामी
सागवाड़ा। परमात्मा का चरित्र ही सत चित्त आनन्द है, उसका निरन्तर ध्यान करना परमानंद की अनुभूति करवाता है।
यह उदगार महामंडलेश्वर ईश्वरानन्द ब्रह्मचारी ध्यान योगी महर्षि उत्तम स्वामी ने वमासा गोकुल नगर में चल रही भागवत कथा में कही।
उन्होंने कहा कि जगत में एक ही परमात्मा है, परमात्मा के प्रति आपका भाव होना चाहिए, प्रभु के स्मरण मात्र से ही मनुष्य के सर्व काम सिद्ध होते है। प्रभु के स्मरण से संसार के बड़े से बड़े कष्ट दूर होते है। कथा के दौरान महाभारत कथा का वर्णन, हिरण्याक्ष का वध व मनु कन्दर्भ संवाद को व्याख्याओं तथा दृष्टान्तों के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को समझाया।
कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान प्रधान ईश्वरलाल सरपोटा परिवार, नरेंद्र भगत भीलूड़ा, धीरज वैष्णव मांडव, चिमन पटेल परिवार द्वारा व्यासपीठ व गुरुपूजन किया गया। शुक्रवार की कथा में 5 हजार से अधिक लोगो ने भाग लिया।
कथा से पूर्व सुबह में आव्हाहीत देवताओं के पूजन तथा नियमित गौपूजन व गौग्रास के साथ ही गोशाला के प्रथम गौ घर मे स्थापित नवकुण्डिय यज्ञ में मुख्य आचार्य गौरव व्यास व पंडित दिनेश पण्डया के सानिध्य में हुए यज्ञ में यजमानो ने आहुतियां अर्पित की। साथ ही प्रातःकाल सभी 301 पौथी यजमानों द्वारा विप्रवरों के समवेत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पौथी पूजन व स्थापित देवतायै का पूजन किया गया।
कथा में संयोजक भुवन पण्डया, प्रान्त संस्कृति प्रमुख कांतिलाल व्यास, शंख मंदिर व्यवस्था समिति के अध्यक्ष राजेश भावसार, दीपक श्रीमाल, गायत्री परिवार के मोहनलाल कलाल, विष्णु कांत उपाध्याय, अशोक पटेल रणोली, भोजन भामाशाह जगदीश हुका पाटीदार सहित कई जनप्रतिनिधि व लोग मौजूद रहे।