जयपुर। राजस्थान में बढ़ते क्राइम को रोकने के लिए गहलोत सरकार अब गैंगस्टरों पर शिकंजा कसने जा रही है। इसके तहत नया कानून राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023 विधानसभा के इसी बजट सत्र में लाया जा रहा है। इसमें ऐसे गैंगस्टरों को उम्र कैद और पांच लाख रूपए तक का जुर्माना भी किया जा सकेगा।
राजस्थान कन्ट्रोल ऑफ आर्गनाइज्ड क्राइम बिल आएगा
गहलोत मंत्रीमण्डल की बैठक में राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023 का अनुमोदन किया गया है। इसे शीघ्र ही विधानसभा में लाया जाएगा। इसमें जिसके विरूद्ध पिछले दस सालों में न्यायालय में एक से अधिक आरोप पत्र पेश किया गया हो और न्यायालय ने उस पर प्रसंज्ञान लिया हो साथ ही जिसने संगठित अपराध गिरोह के सदस्य के रूप में कोई अपराध, जो संज्ञेय व तीन साल या अधिक अवधि के लिए दंडनीय हो, उस व्यक्ति के विरूद्ध कार्रवाई की जा सकेगी।
गहलोत मंत्रीमण्डल की बैठक में राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023 का अनुमोदन किया गया है। इसे शीघ्र ही विधानसभा में लाया जाएगा। इसमें जिसके विरूद्ध पिछले दस सालों में न्यायालय में एक से अधिक आरोप पत्र पेश किया गया हो और न्यायालय ने उस पर प्रसंज्ञान लिया हो साथ ही जिसने संगठित अपराध गिरोह के सदस्य के रूप में कोई अपराध, जो संज्ञेय व तीन साल या अधिक अवधि के लिए दंडनीय हो, उस व्यक्ति के विरूद्ध कार्रवाई की जा सकेगी।
साथ ही संगठित अपराध में किसी व्यक्ति द्वारा, संगठित अपराध गिरोह के सदस्य के रूप में या ऐसे गिरोह के लिए, किसी आर्थिक लाभ या अन्य किसी लाभ प्राप्त करने के उददेश्य से हिंसा या धमकी या जबदस्ती करना शामिल किया गया है। संगठित अपराध गिरोह में दो या दो से अधिक व्यक्तियों का गिरोह, जिसके द्वारा संगठित रूप से अपराध किया जाता है, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
उम्रकैद तक सजा के प्रावधान
इसमें पीड़ित की मृत्यु होने पर अपराधी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास एवं न्यूनतम एक लाख रुपए का अर्थदंड का प्रावधान किया गया है। साथ ही आपराधिक षड़यंत्र, गिरोह के सदस्यों को शरण देने के लिए न्यूनतम पांच साल का कारावास जो अधिकतम आजीवन कारावास हो सकेगा। साथ ही न्यूनतम पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
उम्रकैद तक सजा के प्रावधान
इसमें पीड़ित की मृत्यु होने पर अपराधी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास एवं न्यूनतम एक लाख रुपए का अर्थदंड का प्रावधान किया गया है। साथ ही आपराधिक षड़यंत्र, गिरोह के सदस्यों को शरण देने के लिए न्यूनतम पांच साल का कारावास जो अधिकतम आजीवन कारावास हो सकेगा। साथ ही न्यूनतम पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
वहीं संगठित अपराध से सम्पत्ति अर्जित करने पर न्यूनतम तीन साल का कारावास जो अधिकतम आजीवान कारावास हो सकेगा, का प्रावधान किया गया है। साथ ही लोक सेवक जिसने संगठित अपराध में सहयोग किया है, उसे अधिकतम तीन साल का कारावास और अर्थदंड देने का प्रावधान है।
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