राजस्थान के शिक्षा विभाग ने राज्य में ड्रॉपआउट दर को कम करने और घुमंतू समुदायों के बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए एक अनूठी पहल की शुरुआत की है। इसके तहत आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित एसी बसों में चलते-फिरते स्कूल शुरू किए जाएंगे।
इन बसों में एलईडी टीवी, डिजिटल ब्लैकबोर्ड, कंप्यूटर, प्रोजेक्टर और खेल सामग्री जैसी सभी जरूरी शैक्षणिक सुविधाएं होंगी। इस नवाचार से उन बच्चों को शिक्षा मिलेगी जो अक्सर अपने माता-पिता के साथ आजीविका के लिए एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं।
मुख्य बिंदु:
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पहले फेज में हर जिले में 2 चलते-फिरते स्कूल शुरू होंगे।
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LKG से 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई होगी।
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हर बस में 15 से 24 बच्चों के बैठने की व्यवस्था।
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स्थानीय शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
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एलसीडी, कंप्यूटर, प्रोजेक्टर और खेल उपकरण जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी।
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एक बस पर अनुमानित लागत 1 करोड़ रुपए होगी।
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डिजाइन इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की मोबाइल स्कूल प्रणाली से प्रेरित होगी।
शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुणाल के अनुसार, सबसे पहले इन स्कूलों को उन क्षेत्रों में भेजा जाएगा, जहां घुमंतू समुदायों की आबादी ज्यादा है। इन स्कूलों से लगभग 10 लाख बच्चों को प्रतिवर्ष लाभ मिलने की संभावना है।
यह योजना उन इलाकों में भी लागू की जाएगी जहां स्थाई स्कूल मौजूद नहीं हैं, लेकिन बच्चों की संख्या अधिक है। यदि छात्रों की संख्या बढ़ती है तो स्थाई स्कूल खोलने का प्रस्ताव भी भेजा जा सकता है।
भूतकाल और भविष्य की ओर:
1990 के दशक में मोबाइल स्कूल शिक्षक साइकिल और मोटरसाइकिल से गाँव-गाँव जाकर पेड़ों के नीचे पढ़ाते थे। अब वही सोच आधुनिक तकनीक के साथ लौट रही है।
इस अनूठी पहल से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। योजना के सफल रहने पर इसका दायरा पूरे राज्य में और भी बढ़ाया जाएगा।