Rajasthan Update : कड़ाके की सर्दी से सिर्फ बर्फ ही नहीं जम रही, लोगों के दिल की धड़कनें भी थम रही हैं। वहीं, ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते केस भी डराने वाले हैं।
एक ओर जहां हार्ट अटैक से रोज 10 से ज्यादा मौतें हो रही है। वहीं, दिमाग की नसें जमने से एक हफ्ते में 13 लोगों की जान जा चुकी है। भास्कर ने प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों की पड़ताल की तो सामने आया कि मौत का ये आंकड़ा 10% तक बढ़ गया है।
वहीं, प्रदेश में रोज ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 350 केस सामने आ रहे हैं। जयपुर में पिछले एक हफ्ते में 430 ब्रेन स्ट्रोक के केस आ चुके हैं। डॉक्टर्स के अनुसार यदि सर्दी में कमी नहीं आई तो आने वाले दिनाें में मरीज और मौतों की संख्या और भी तेजी से बढ़ सकती है।
जयपुर में हार्ट अटैक से रोज 2 मौतें
आमतौर पर जिन अस्पतालों में होने वाली 100 मौतों में से 20 मामले हार्ट अटैक के होते थे, वहां अब ये आंकड़ा 37 मौतों तक चला गया है। राजस्थान के सबसे बड़े हॉस्पिटल एसएमएस की कार्डियोलॉजी यूनिट में हर रोज औसत 2 मौतें हार्ट अटैक से हो रही हैं। इसी तरह उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट देखें तो यहां भी 3 दिन में 2 मरीज अपनी जान गंवा रहा है।
40 की जगह 50 आ रहे डेली मामले
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर डॉ. दीपक माहेश्वरी के मुताबिक वर्तमान में कैथलैब में हर रोज 50 से ज्यादा मरीजों की एंजियोग्राफी या एंजियोप्लास्टी हो रही है, जबकि गर्मियों के मौसम में ये संख्या 40 के आसपास रहती थी। पहले हर रोज करीब 40 मामले कार्डियक अरेस्ट के आते थे, जो सर्दियों में बढ़कर 50 से ऊपर चले गए हैं।
एसएमएस हॉस्पिटल के प्रिंसीपल और कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राजीव बगरहट्टा ने बताया किस सर्दियों में हार्ट अटैक के केस 20 फीसदी तक बढ़ जाते हैं।
सर्दियों में अचानक से हर्ट अटैक का औसत बढ़ने के कारण क्या हैं? क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। ये बताया एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर डॉ. दीपक माहेश्वरी ने….
आसान भाषा में समझिए : सर्दियों में क्यों बढ़ते हैं हार्ट के केस?
सोने के दौरान शरीर की एक्टिविटीज स्लो हो जाती है। ब्लड प्रेशर भी कम होता है। लेकिन उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाने का काम करता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादा ठंड से इंसान की धमनियां सिकुड़ने लगती हैं। इसके साथ ही ब्लड में प्लेटलेट्स की रिएक्टिविटी बढ़ जाती है। इसके कारण खून में थक्के बहुत तेजी से जमने लगते हैं।
जिनके ब्लोकेज की दिक्कत है, उनके हार्ट की आर्टरी या वैस्कुलर ब्लॉक हो जाती है। इस कारण सर्दियों में अक्सर हार्ट अटैक ज्यादा आते है। जिन्हें पहले से ही दिल की बीमारी है या जिन्हें पहले भी हार्ट अटैक हो चुका है, उनके लिए ज्यादा ठंड जानलेवा हो जाती है।
सुबह 3 से 8 बजे के बीच ही ज्यादा केस क्यों?
प्रदेश के हार्ट विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दियों में कार्डियक अरेस्ट के सबसे ज्यादा केस तड़के (3 बजे से लेकर 8 बजे तक) ही आते हैं, जिसके चलते कई मरीज तो हॉस्पिटल तक पहुंच भी नहीं पाते हैं। इसकी वजह है कि सबसे कम टेंपरेचर इसी समय होता है।
पहले से हार्ट प्रोब्लम या डायबिटीज वाले पेशेंट सावधानी नहीं बरतते हैं, इसलिए इस समय अटैक आने की संभावना भी ज्यादा होती है। सर्दी में ज्यादा हार्ट अटैक के लिंक पर स्वीडन में एक स्टडी भी हो चुकी है। इस रिसर्च के मुताबिक भी सुबह 4 से 10 बजे दिल के दौरे सबसे ज्यादा पड़ते हैं।
पानी की मात्रा को कम न होने दे
एसएमएस के प्रोफेसर डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि इन दिनों सर्दी बहुत ज्यादा है। ऐसे में हार्ट के मरीजों को इस सर्दी में खुद का ध्यान रखने के लिए जरूरी है।
- खुद डिहाइड्रेट होने से खुद को बचाएं। अक्सर सर्दी में लोग पूरे दिन में 3-4 गिलास से ज्यादा पानी नहीं पीते।
- ऐसा नहीं होना चाहिए, पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए। पानी गुनगुना ही पीना चाहिए।
- इसके अलावा सुबह-शाम हो सके तो सर्दी से बचकर रहना चाहिए। ज्यादा ठंड हो तो अर्ली मॉर्निंग वॉक से परहेज करें। दोपहर में घूमना-फिरना चाहिए।
- जिन लोगों को पहले भी हार्ट अटैक आ चुका है या जिनके दिल पर ज्यादा खतरा है, वे ठंड के दिनों में खास ध्यान रखें।
- सुबह के वक्त अचनाक बेड से उठकर बाहर की ओर न जाएं। थोड़ी देर बॉडी की माहौल के हिसाब से ढलने दें।
कोई भी लक्षण नजर आएं तो तुरंत उठाएं ये कदम
- हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर तत्काल अस्पताल पहुंचें।
- हार्ट पेशेंट के लिए अटैक आने के बाद शुरुआती 30 मिनट से लेकर 1 घंटा सबसे अहम होता है। समय पर ट्रीटमेंट से जान बच सकती है।
- पेशेंट को उन अस्पतालों में ले जाना चाहिए जहां एंजियोग्राफी या सीटी स्कैन जैसी सुविधाएं हों।
- ब्लड प्रेशर और हाई डायबिटीज के पेशेंट को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। फिजीशियन से दवाओं की डोज सेट कराएं।
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों के हालात
जेएलएन अस्पताल, अजमेर
अजमेर संभाग के सबसे बड़े JLN अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट के बाद भर्ती होने वाले मरीजों का डेथ रेश्यो 20 परसेंट तक होता है।
लेकिन जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है यह आंकड़ा 25 से 30 परसेंट तक चला जाता है। यहां दिसंबर में जेएलएन अस्पताल में 95 मरीजों की मौत दर्ज हुई लेकिन इनमें हार्ट से मरने वालों की संख्या 37 है।
उन्होंने बताया कि डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल वाले मरीजों में यह दिक्कत ज्यादा बढ़ जाती है।
अगस्त 27 की मौत
सितंबर 20 की मौत
अक्टूबर 28 की मौत
नवंबर 19 की मौत
दिसंबर 37 की मौत
- जनवरी में 19 तारीख तक 15 की मौत हो चुकी है।
जेएलएन अस्पताल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में सर्दी के चलते हार्ट अटैक के मामले बढ़ गए हैं।
महाराणा भोपाल अस्पताल, उदयपुर
उदयपुर संभाग के सबसे बड़े महाराणा भोपाल अस्पताल ( आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित) में हालात कुछ ऐसे ही हैं। डॉ. मुकेश शर्मा, कॉर्डियोलॉजिस्ट (महाराणा भोपाल अस्पताल) ने बताया कि नवंबर में कार्डियक अरेस्ट से 16 मरीजों की मौत दर्ज हुई। लेकिन दिसंबर में यह आंकड़ा बढ़कर 20 पहुंच गया।
मेवाड़ रीजन में भी सर्दी के दिनों में हार्ट अटैक से मरने वालों लोगों की संख्या करीब 5 से 7 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। सबसे ज्यादा अर्ली मॉर्निंग में मरीजों को हार्ट अटैक आने के केस देखे गए हैं। बुजुर्ग ही नहीं यूथ में भी केस बढ़ रहे हैं।
महीना – मौत के आंकड़े
अगस्त 15
सितंबर 16
अक्टूबर 22
नवंबर 16
दिसंबर 20
- जनवरी में अब तक 10 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
मेडिकल कॉलेज कोटा में 25% तक बढ़ा आंकड़ा
मेडिकल कॉलेज कोटा के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भंवरलाल रिणवां ने बताया कि सर्दी के समय हॉस्पिटल में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या 25 से 30 प्रतिशत बढ़ी है। अभी रोज 18 से 20 मरीज आ रहे हैं। गर्मी के दिनों में यह आंकड़ा 10 से 15 के बीच होता है। डॉ. रिणवा ने बताया समय पर हॉस्पिटल पहुंचने वाले 90 से 95 प्रतिशत मरीजों के जान बचने की संभावना रहती है।
ब्रेन स्ट्रोक के रोज 34 केस
जयपुर के हॉस्पिटल्स में ब्रेन स्ट्रोक मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जहां एसएमएस में डेली 34 मरीज इस बीमारी के आ रहे हैं। यहां पिछले एक महीने में 1034 केस आ चुके हैं। जबकि, नारायणा में हर दिन सात से आठ केस आ रहे हैं।
वहीं, मणिपाल में पिछले सात दिन में 21 केस आ चुके हैं, सीकेएसएस में हर दिन पांच से छह केस आ रहे हैं। ईएचसीसी में भी लगभग दस केस हर दिन आ रहे हैं। वहीं, आईबीएस में चार से पांच केस हर दिन अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसके अलावा अन्य अस्पतालों में भी हर दिन औसतन 100 मरीज पहुंच रहे हैं।
किस आयु वर्ग के लिए खतरा अधिक है?
एक्सपर्टस ने भास्कर को बताया कि सर्दी के मौसम में आने वाले ब्रेन स्ट्रोक के केस में 3 से 5% लोगों की मौत हो जाती है, यानी कि हर महीने ही 35 से अधिक लोगों की मौत अकेले ब्रेन स्ट्रोक की वजह से हो रही है।
इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट (आईएसए) के अनुसार 40% स्ट्रोक के मामले 60 वर्ष से कम में होते हैं, वहीं लगभग 20% स्ट्रोक के मामले 45 वर्ष से कम में सामने आते हैं।
डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक ऐसे लोगों में भी हाेता है जिन्हें और कई बीमारियां होती हैं।
ब्रेन स्ट्रोक क्या है, केस बढ़े क्यों हैं?
उम्र के साथ दिमागी कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में जब बीपी अचानक बढ़ता है तो धमनियों में खून का थक्का जम जाता है, इसे ही ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं।
कई बार दिमाग में रक्त संचार अधिक होने से नस फट भी जाती है, इसे ब्रेन हेमरेज कहते हैं। सर्दियों में सूर्य की रोशनी की कमी, कम फिजिकल एक्टिविटी और घर से बाहर न निकलने की वजह से सीजनल डिप्रेशन होता है, इसके चलते ब्रेन स्ट्रोक के केस बढ़ जाते हैं।
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