Roop Chaudas 2022: सुंदर रूप पाने के लिए इस दिन इन उपायों को ज़रूर करे

Roop Chaudas 2022

दिवाली के एक दिन पहले रूप चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चतुर्दशी आदि नामो से भी जाना जाता है। इस साल रूप चौदस 24 अक्टूबर

शास्त्रों की बात, जाने धर्म के साथ
दिवाली के एक दिन पहले रूप चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चतुर्दशी आदि नामो से भी जाना जाता है। इस साल रूप चौदस 24 अक्टूबर को दिवाली वाले दिन ही मनाई जाएगी। रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते है और चारो ओर रोशनी की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह से दिवाली की रात धन की देवी मां लक्ष्मी भूलोक पर आती हैं और साफ सफाई वाले घर में बस जाती हैं, ठीक उसी तरह रूप चौदस के दिन देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी भूलोक आती हैं और जिस घर मे साफ सफाई की कमी होती है, उसी घर में बस जाती है। रूप चौदस की पीछे एक ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन कुछ उपायों को करने से लोग विभिन्न तरह के रोगों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा रूप को निखारने के लिए भी ये दिन शुभ माना जाता है। तो आइए जानते है इस दिन क्या करना चाहिए और इस दिन की मान्यता।

अधिकतर लोग दिवाली की तरह ही छोटी दिवाली पर भी घर को सजाते है और साथ ही रंगोली भी बनाते है। मान्यता है कि इस दिन यमराज को प्रणाम करके दीपक जलाने से तमाम तरह की परेशानियो और पापों से मुक्ति मिल जाती है। दिवाली से पहले रूप चौदस के दिन यम के लिए दीपक जलाते है।

पुराणों के मुताबिक रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तिल या सरसो के तेल की मालिश करनी चाहिए। इसके साथ ही औषधियो से बनाया हुआ उबटन लगाना चाहिए। इसके बाद पानी मे दो बूंद गंगाजल और अपामार्ग यानी चिरचिटा के पत्ते डालकर नहाना चाहिए। फिर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से उम्र बढ़ती है। पाप खत्म होते है। और सौंदर्य भी बढ़ता है।

शास्त्रों मे बताया गया है कि तिल के तेल में लक्ष्मी जी और जल में गंगाजी का निवास माना गया है। इससे रूप बढ़ता है और सेहत अच्छी रहती है। पद्मपुराण में लिखा है कि जो सूर्योदय से पहले उठकर नहाता है। वो यमलोक नही जाता। इसलिए इस दिन सूर्य उदय होने से पहले औषधियों से नहाना चाहिए।

छोटी दिवाली यानि आज के दिन पांच दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के पूजा पाठ वाले स्थान, दूसरा रसोई घर मे, तीसरा उस जगह जलाना चाहिए। जहां हम पीने का पानी रखते है. चौथा दीया पीपल या वट के पेड़ के नीचे रखना चाहिए। इसके बाद पांचवा दीया घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए। जो दीया घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाएगा, वह दीया चार मुंह वाला होना चाहिए। और उसमे चार लंबी बत्तियों को जलाना चाहिए।

Leave a Comment

error: Content Copy is protected !!
Belly Fat कम करने के लिए सुबह नाश्ते में खाई जा सकती हैं ये चीजे विश्व रक्तदाता दिवस 2023 महत्व शायरी (वर्ल्ड ब्लड डोनर डे) | World blood donor day theme, quotes in hindi CSK won the title for the 5th time in the IPL 2023 final Tata Tiago EV Review: किफायती इलेक्ट्रिक कार मचाएगी तहलका!