Banswara News: बांसवाड़ा में राधास्वामी मानसिक-विमंदित गृह ने मानवीय सेवा की एक मिसाल पेश की है। ढाई साल पहले लावारिस हालात में मिले महाराष्ट्र के देवदास को मानसिक देखभाल और अपनों जैसा प्यार देकर संस्थान ने न सिर्फ उनकी याददाश्त लौटाई, बल्कि परिवार से भी मिलवा दिया। अब वह अपने घर लौटने के लिए तैयार हैं।
लावारिस से अपने तक का सफर
मार्च 2022 में लगभग 40 वर्षीय देवदास को बांसवाड़ा के राधास्वामी मानसिक-विमंदित गृह लाया गया। खराब मानसिक स्थिति में वह न तो अपना नाम बता पा रहे थे और न ही अपने घर का पता। संस्थान के प्रभारी वेदप्रकाश शर्मा ने बताया कि देवदास महीनों तक खामोश रहे। उनके साथ लगातार संवाद स्थापित करने के प्रयास किए गए। धीरे-धीरे उन्होंने गुनगुनाना शुरू किया और फिर बोलने लगे। एक दिन उन्होंने बताया, “मैं देवदास हूं, मेरा परिवार है।”
महाराष्ट्र से बांसवाड़ा तक का सफर
देवदास ने अपने परिवार और जीवन की कहानी बताई। वह महाराष्ट्र के धुले जिले के सड़गांव के निवासी हैं और गुरुद्वारे की भोजनशाला में कारीगर के रूप में काम करते थे। पत्नी के धोखे और मानसिक तनाव के कारण वह भटककर राजस्थान आ पहुंचे। उन्होंने बताया कि ट्रेन से रतलाम पहुंचे और फिर किसी तरह बांसवाड़ा तक आए।
परिजनों तक पहुंचने का सफर
जब देवदास की मानसिक स्थिति में सुधार हुआ, तो उन्होंने अपने माता-पिता और गांव के बारे में जानकारी दी। उनकी दी गई जानकारी के आधार पर राधास्वामी सोसायटी के सचिव भुवनेश्वर शर्मा, सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी गौतमलाल मीणा, और चाइल्डलाइन के कमलेश बुनकर ने उनके परिजनों को खोजने का प्रयास शुरू किया।
गुरुद्वारे से संपर्क और गांव के सरपंच बसंत भूषण चौहान की मदद से उनके परिवार का पता चला। शनिवार को उनके काका और भाई बांसवाड़ा आए। देवदास ने उन्हें देखते ही गले लगा लिया और फफक कर रो पड़े।
समाज के लिए प्रेरणा
देवदास की रवानगी के दौरान हाईकोर्ट जज मनोज गर्ग भी मानसिक-विमंदित गृह के मुआयने पर पहुंचे। उन्होंने इस पुनर्वास प्रक्रिया की सराहना की।
सामूहिक प्रयासों का नतीजा
देवदास की घर वापसी यह साबित करती है कि सामूहिक प्रयासों और मानवीय संवेदनाओं से जीवन को एक नई दिशा दी जा सकती है। अब वह अपने गांव और परिवार के पास लौट रहे हैं, जहां उन्हें एक नई शुरुआत करने का मौका मिलेगा।
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