डूंगरपुर। प्रदेश के बाँसवाड़ा जिले में हुई 52 ट्रकों में बड़े पैमाने पर गौ-तस्करी के मामले में अब प्रशासनिक कार्रवाई तेज हो गई है। जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर बाँसवाड़ा थाने में गौवंश अधिनियम की धारा 3, 5, 8, 9 के तहत मेला अधिकारी मेड़ता पूनम चोयल, उपखंड अधिकारी मेडता और संबंधित पशु चिकित्सकों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
यह कार्रवाई उसी मामले की अगली कड़ी है, जिसमें दिनांक 14.04.2025 को बाँसवाड़ा के सीमावर्ती इलाके में सैंकड़ों गायों से भरे 52 ट्रकों को स्थानीय लोगों व गौशाला कार्मिक ने रुकवाया था। शुरुआती जांच में सामने आया था कि ये ट्रक बलदेव मेला, मेड़ता सिटी (नागौर) से मंडला व खरगोन (मध्यप्रदेश) के किसानों के नाम पर फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे महाराष्ट्र के बूचड़खानों की तरफ भेजे जा रहे थे।
इस पूरे मामले में पुलिस सुरक्षा के साथ गायों से भरे 52 ट्रकों को राज्य से बाहर रास्ता पार करवाया जा रहा था, साथ ही स्थानीय लोगों व गौशाला कार्मिक द्वारा तस्करों को रोकने पर तस्करों द्वारा देसी कट्टे, धारदार हथियार और मिर्ची पाउडर का इस्तेमाल भी किया गया था।
इस दौरान पुरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका पूर्णतः संदेह के घेरे में आ गई थी, जिसमें बाँसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने मौके पर पहुँच कर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाये थे। सांसद रोत ने कहा था कि भाजपा चुनाव में गौ-रक्षा के नाम पर वोट तो माँगती है, लेकिन सत्ता में आने के बाद यही सरकार गौ-तस्करी को संरक्षण दे रही है एवं मामले की जांच स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी से भी कराने की माँग की थी।
अब जब इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई है, तो माना जा रहा है कि सांसद राजकुमार रोत द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर उठाये गये इस मुद्दे में जल्द ही दोषियों पर सख्त कार्यवाही होगी।