राजस्थान पेपर लीक प्रकरण में अब केंद्र की जाँच एजेंसियों की एंट्री

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कार्रवाई – प्रदेश में RPSC की ओर से आयोजित परीक्षा के पेपर लीक का मामला, डूंगरपुर बाड़मेर और जालोर में हुई ED की कार्रवाई

बड़ा– इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाबुलाल कटारा को RPSC सदस्य बनाने में किसकी भूमिका रही?

सागवाड़ा। राजस्थान पेपर लीक प्रकरण मामले में केंद्रीय जाँच एजेंसियों की एंट्री हो चुकी हैं। राजस्थान में RPSC की ओर से आयोजित परीक्षा में पेपर लीक मामले में केंद्र ने जाँच शुरू कर दी है। केंद्रीय जाँच एजेंसियों ने डूंगरपुर बाड़मेर और जालोर में कार्रवाई की है । सोमवार सुबह डूंगरपुर से RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा के निवास परकेंद्रीय रिजव पुलिस बल के हथियार बंद जवानों के साथ टीम पहुँची और जाँच शुरू की। अधिकारी और जवान मिलाकर करीब 10 लोगो की है टीम डूंगरपुर बाबूलाल कटारा के निवास पर पहुँची। इधर, आरपीएससी पेपर लीक मामले में ईडी ने एंट्री करते हुए सांचोर क्षेत्र के अचलपुर व रीड़िया धोरा हेमागुड़ा में कार्यवाही की है । हालाँकि जाँच दल की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नही दिया गया है। पेपर लीक मामले में सुरेश ढाका व सुरेश बिश्नोई के घर पर ईडी की कार्यवाही की सूचना है। पेपर लीक प्रकरण के बाद भाजपा के बड़े नेता लंबे समय से केंद्रीय जाँच एजेंसी से इसकी जाँच की माँग कर रहे थे।

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कटारा को RPSC सदस्य बनाने में किस की भूमिका

बाबूलाल कटारा को जब RPSC मेंबर बनाया गया था तो यह नाम सबको चौंकाने वाला था। वागड़ से कई ऐसे लोग थे जो मेंबर बनने के लिए प्रयास कर रहे थे। ऐसे में यह प्रश्न अब भी बना हुआ है कि कटारा को इस स्टेज तक पहुँचाने में किसकी भूमिका रही।

छपने से पहले ही RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा बेच दिया था पेपर

RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा ने एग्जाम से 2 से 3 सप्ताह पहले ही वरिष्ठ अध्यापक भर्ती के सामान्य ज्ञान का पेपर शेर सिंह मीणा को बेच दिया था। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के सभी 6 पेपर सेट करने की जिम्मेदारी राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को दी गई थी। कटारा ने अलग-अलग एक्सपर्ट पेपर बनवाए थे। पेपर को प्रिंटिंग प्रेस में भेजने से पहले ही कटारा ने मूल पेपर की प्रति अपने भांजे को दे दी थी जिसे बाद में शेर सिंह मीणा को बेच दिया गया था।

60 लाख में किया बेरोजगारों के भविष्य का सौदा

वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के सामान्य ज्ञान के पेपर को बाबूलाल कटारा ने 60 लाख रुपए में शेर सिंह मीणा को बेचा था। बेरोजगारों के भविष्य का सौदा करने के बाद 60 लाख रुपए की रकम शेर सिंह ने सीधे कटारा को दी थी। कटारा के भांजे विजय डामोर को खुश करने के लिए शेर सिंह मीणा ने उसे एक सोने का कड़ा दिया था जिसे एसओजी ने बरामद कर लिया है। एडीजी अशोक राठौड़ के मुताबिक शेर सिंह ने 60 लाख रुपए में पेपर खरीदने के बाद भूपेंद्र सारण को 80 लाख रुपए में बेचा था। इसके बाद भूपेंद्र ने कोचिंग सेंटर संचालक सुरेश ढाका के जरिये सुरेश बिश्नोई को उपलब्ध कराया। बिश्नोई ने 5-5 लाख रुपए में कई अभ्यर्थियों को बेचा था।

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