भीखा भाई की पुण्यतिथि मनाई, भीखा भाई जिन्होंने आजीवन कांग्रेस को विजयी दिलाई

सागवाड़ा। वागड़ गाँधी व राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व भीखा भाई की 21 वीं पुण्यतिथि उनके समाधि स्थल हनुमान मंगरी पर मनाई गईं।


इस अवसर पर उनके पुत्र पूर्व विधायक सुरेंद्र बामणिया ने नेक-नियत से क्षेत्र की जनता की सेवा में अनवरत जुटे रहने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि मुझे सत्ता का मोह नहीं हैं क्षेत्र की जनता की तकलीफो को दूर करना उनकी प्राथमिकता हैं वें राजकीय सेवा का उच्च पद को त्याग कर इसीलिए राजनीती जीवन में आएं।

इस अवसर पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश खोड़निया, पूर्व प्रधान श्रीमती आशा डेंडोर, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष देवीलाल फलोत,देवीलाल सूरजगांव, सागवाड़ा नगर पालिका पूर्व नेता प्रतिपक्ष कुलदीप गाँधी, पूर्व पालिका उपाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंघवी, पूर्व नगर यूथ अध्यक्ष वैभव गोवाड़ीया, उपसरपंच गोविन्द पूंजोत, सरपंच तुलसी कचरा मालीवाड़,कांतिलाल सारगिया, पूर्व सरपंच बसंती रोत, यूथ कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष सन्नी बामणिया, ब्लॉक यूथ सागवाड़ा विधानसभा अध्यक्ष मगनलाल मोर, दिलीप भोई,महिपाल मीणा सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्त्ताओ ने स्व भीखा भाई को पुष्पांजलि अर्पित की।

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भीखा भाई जिन्होंने आजीवन कांग्रेस को विजयी दिलाई

सागवाड़ा के बुचिया बड़ा ग्राम पंचायत के चिबुड़ा गांव में जन्मे भीखाभाई भील पहले आदिवासी नेता थे, जो पढ़े लिखे होने के साथ ही रियासतकाली कोर्ट में मुंसिफ मजिस्ट्रेट रहे थे। देश आजाद होने के बाद में जब राजनीति में आए तो 1957 में सागवाड़ा विधानसभा में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कोई भी दूसरी राजनीतिक पार्टी भीखाभाई भील के सामने उम्मीदवार नहीं उतार सकी और वे निर्विरोध निर्वाचित हुए। इस विधानसभा से 5 बार विधायक रहे और हर बार वह मंत्री बने। हालांकि पहली बार वह सुखाडिया मंत्रीमंडल में उपमंत्री के पद पर रहे, बाद में कैबिनेट मंत्री के तौर पर ही राजनीति की

भाजपा के कद्दावर नेता कनकमल कटारा को 2 बार हराया

भाजपा के कद्दावर नेता और वर्तमान सांसद कनकमल कटारा को भीखाभाई भील ने दो बार चुनावों में हराया। भाजपा ने कनकमल कटारा को 1993 के विधानसभा चुनाव में भील के सामने उतारा, लेकिन तब 3111 वोटों से हराया। दूसरी बार 1998 के चुनाव में भी ये ही जोड़ी आमने सामने आई, लेकिन तब भी भीखाभाई ने कटारा को 9701 वोटों से हराया। ये उनका आखिरी चुनाव था और इसी चुनाव में वह केबिनेट मंत्री बने थे। इस आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस की जीत का चेहरा ही भीखाभाई भील को माना जाता था। वहीं बांसवाड़ा में हरिदेव जोशी थे।

राजनीति में कई रिकॉर्ड भीखा भाई के नाम पर, जीते जी भाजपा को नहीं जीतने दिया

भीखाभाई भील को लेकर कहा जाता है कि जीते जी उन्होंने विधानसभा चुनाव में कभी भाजपा को जीतने नहीं दिया। भील के नाम इसके अलावा भी कई ऐसे रिकॉर्ड है, जो राजनीति में आज दिन तक कोई भी नहीं तोड़ पाया है।

सागवाड़ा में 1967 और 1972 के विधानसभा चुनाव में भीखाभाई भील को मिली थी बड़ी जीत

भीखाभाई भील को 1967 और 1972 में बड़ी जीत मिली थी। 1967 में सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से जहां 28 हजार 208 वोट मिले थे, तब उनके सामने चुनाव लड़ने वाले मुख्य प्रतिद्वंदी लालशंकर को 9 हजार 963 वोट मिले। इस तरह से 18 हजार 245 वोटों से जीते थे। इसी तरह से 1972 में भीखाभाई को 23 हजार 575 वोट मिले थे, सामने मुख्य प्रतिद्वदी कालूराम को 3963 ही वोट मिले और इस तरह से भीखाभाई 19 हजार 612 वोटों से जीत दर्ज की।

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