उदयपुर। बीते दिनों कांग्रेस के सभी विधायकों की प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और सीएम अशोक गहलोत से वन-टू-वन मुलाकात के बाद शुरू हुई नई राजनीतिक चर्चाओं ने दावेदारों को फिर एक्टिव कर दिया है। 45 फीसदी से ज्यादा मंत्री और विधायकों के टिकट काटने की दशा के बीच उदयपुर जिले की अधिकांश विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी बदलने की चर्चा हो रही है, ऐसे में उदयपुर शहर, उदयपुर ग्रामीण, मावली, खेरवाडा, गोगुन्दा, झाडोल में नए व्यक्ति को मौका मिल सकता है। कांग्रेस के इस इंटरनल सर्वे में सलूम्बर और वल्लभनगर में प्रत्यशी को नहीं बदलने के सुझाव दिए गए है।
उदयपुर शहर व्यास और श्रीमाली की जगह नए चेहरे को मिल सकता है मौका
सर्वे एजेंसी ने उदयपुर शहर से पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास के अलावा दिनेश श्रीमाली जैसे डमी कैंडिडेट के बजाय नए चेहरों मौका देने का सुझाव दिया। इसके पीछे के बड़ा कारण है कि व्यास और श्रीमाली दोनों अपने अपने चुनाव के बाद कार्यकर्ताओ के साथ प्रदर्शनों तक में नजर नहीं आए। अब तक श्रीमाली विधायक प्रत्याशी का तमगा लेकर सिर्फ अपना ही प्रचार करते दिखे है, जबकि वे स्थानीय कार्यकार्याओं में स्वीकार्यता नहीं बना पाए । वैसे, उदयपुर शहर विधानसभा से राजीव सुहालका और पंकज शर्मा भी इस बार चुनाव लडने की अपनी पूरी तैयारी कर रहे हैं।
उदयपुर ग्रामीण नए चेहरे के रूप में लालू राम को मिल सकता है मौका
सर्वे में उदयपुर ग्रामीण से सज्जन और विवेक कटारा के बजाय नए चेहरों को आगे प्रमोट करने को कहा गया है। दोनों ही चेहरों के नाम पर कार्यकर्ताओं में स्वीकार्यता कम होना एक बड़ा कारण माना गया है। इस सीट पर विवेक 2018 और सज्जन कटारा 2013 में चुनाव हार चुकी है। विवेक गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके स्व. खेमराज कटारा के बेटे है। दोनों चुनाव में बड़े अंतर से बीजेपी इस सीट पर जीतती आ रही है। वही सज्जन कटारा फिलहाल गिर्वा पंचायत समिति की प्रधान है, ऐसे में उन्होंने अपनी ऐंटी इनकंबेंसी को कम करने की कोशिश भी लगातार की है। इस सीट पर कांग्रेस का एक धडा जावर माइंस के यूनियन नेता लालूराम मीणा को लड़ाने के मूड में है।
वल्लभनगर प्रीति शक्तावत का कामकाज
जिले की एक मात्र महिला विधायक प्रीति शक्तावत के काम-काज पर सर्वे ने संतुष्टि जताई है। वलभनगर विधायक प्रीति के साथ महिला कार्ड और पढी लिखी जनप्रतिनिधि होने के साथ दमदार छवि का होना भी बडा कारण माना गया है। इसके साथ प्रीति फिलहाल किसी गुट में नहीं होकर संघठन के लिए समर्पित विधायकों में एक मानी गई है। हालांकि कुछ हद तक परिवारवाद का मुद्दा उनके साथ भी प्रभावी रहने की आशंका जताई गई है। इस सीट पर थर्ड फ्रंट के प्रत्याशी के आने की संभावनाओं के बीच प्रीति को ही मजबूत मानते हुए अच्छी रेटिंग दी गई है। हालांकि वल्लभनगर से इस बार कांग्रेस से टिकट लेने के लिए भीम सिंह चूंडावत, कुबेरसिंह चावडा और ओंकारलाल मेनारिया भी अपनी पूरी कसरत कर रहे है।
सलूम्बर जिले की घोषणा रघुवीर के लिए
सर्वे रिपोर्ट में सलूम्बर सीट पर नए जिले की घोषणा का क्रेडिट रघुवीर मीणा को मानते हुए वहां उनकी स्थिति ठीक बताई गई है। हालांकि मीणा भी 2 बार लगातार इस सीट से चुनाव हार चुके है, मगर मीणा की पिछले वक्त में छवि में काफी सुधार हुआ है, इसके साथ ही सलूम्बर जिले की घोषणा उनके लिए संजीवनी बूटी साबित हो सकती है। माना जा रहा है कि रघुवीर के अलावा इस सीट पर कोई भी बडा नेता चुनाव में दावेदारी रखने के मूड में नहीं है।
झाडोल भजात की लोकप्रियता भुनाने की हो सकती है कोशिश
कांग्रेस में सबसे ज्यादा गुटबाजी की स्थिति झाडोल सीट पर मानी गई है। यहां फिलहाल बीजेपी के विधायक है। इसके पहले झाडोल सीट पर हीरालाल दरांगी विधायक थे। इस सीट पर स्वर्गीय कुबेर सिंह भजात की लोकप्रियता को फिर भुनाने के लिए सुनील भजात को आगे करने का बड़ा एक अवसर माना गया है। हालांकि यहां भजात के अलावा हीरालाल दरांगी भी इस बार मुख्य दावेदार है।
खेरवाड़ा परमार को ओवर एज होने का उठाना पड सकता है नुकसान
खेरवाडा में दयाराम परमार को ओवर एज के साथ कार्यकर्ताओं में पकड़ खत्म होना भी माना गया है। उनकी पब्लिक के बीच पकड भी न प्रभावी रही है, न वे सरकार की योजनाओं के प्रचार में एक्टिव रहे है। वैसे 2008 की गहलोत सरकार में दयाराम परमार उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके है। कांग्रेस में इस बार परमार को रिप्लेस कर बंशीलाल का नाम आगे माना जा रहा है।
मावली- गोगुन्दा मावली और गोगुन्दा में प्रत्याशी बदलने का सुझाव
मावली सीट पर भी प्रत्याशी बदलने का सुझाव दिया गया है। यहां लगातार 2 बार पुष्कर डांगी चुनाव हार चुके है। हालांकि उनके समर्थक उनके प्रधान बनने के बाद छवि की बात को स्वीकार करते है । इस सीट पर जीतसिंह और नरेंद्र जैन भी दौड में है।
वहीं कांग्रेस का गढ रह चुकी गोगुन्दा सीट पर भी सर्वे में प्रत्याशी बदलने का सुझाव दिया गया है।
मंत्री रह चुके मांगीलाल गरासिया 2 बार लगातार इस सीट से चुनाव हार चुके है। गरासिया के फेस को रिप्लेस करने पर यहां किसी नए चेहरे को मौका मिल सकता है। यदि झाला का समर्थन और पूरा साथ मिला तो गोगुन्दा सीट से सवाराम गमेती को भी आगे किया जा सकता है।
बहरहाल चुनावी माहौल में जाने से पहले सर्वे के आधार पर हर सीट पर विधायक प्रत्याशी पर लंबी कसरत आने वाले दिनों में होनी है। मगर अहम सवाल यह है कि क्या लगातार 2 बार चुनाव हार रहे कई दिग्गज नेताओं को इस बार टिकिट नहीं मिलेगा? सर्वे से जुड़े लोगों ने अनौपचारिक चर्चा में बताया कि उदयपुर जिले की 8 में से 6 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को बदलने के सुझाव को पूरी तरह मान लिया गया है, इसलिए नए प्रत्याशियों को मौका मिलना तय है।
साभार : मेवाड़ जगत