डूंगरपुर का जल संरक्षण मॉडल बना मिसाल: ग्रामीणों ने बिना सरकारी सहायता मोरन नदी को किया पुनर्जीवित

डूंगरपुर/उदयपुर में आयोजित राज्य जल मंत्रियों के सम्मेलन में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने डूंगरपुर जिले के खडगदा गांव में हुए जल संरक्षण कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने मोरन नदी के कायाकल्प को पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बताया।

खडगदा गांव के ग्रामीणों ने रामकथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में मोरन नदी को पुनर्जीवित करने की ऐतिहासिक पहल की। एक समय कचरे और गंदगी से भरी इस नदी को गांववासियों ने बिना किसी सरकारी सहायता के स्वच्छ कर दिया। इस अभियान में 3 करोड़ रुपये की राशि ग्रामीणों द्वारा स्वयं जुटाई गई। किसी ने ट्रैक्टर दिया, किसी ने जेसीबी मुहैया कराई, तो कई लोगों ने श्रमदान और आर्थिक सहयोग किया। इस सामूहिक प्रयास के परिणामस्वरूप 40 करोड़ लीटर पानी का संरक्षण संभव हो सका।

किसी ने ट्रैक्टर दिया, किसी ने जेसीबी मुहैया कराई, तो कई लोगों ने श्रमदान और आर्थिक सहयोग किया। इस सामूहिक प्रयास के परिणामस्वरूप 40 करोड़ लीटर पानी का संरक्षण संभव हो सका।

नौ महीने का अथक परिश्रम:
गांववासियों ने लगातार 9 महीने तक कड़ी मेहनत कर नदी के 1 किलोमीटर क्षेत्र को पुनर्जीवित किया। नदी को 500 फीट चौड़ा और 25 फीट गहरा किया गया। इसके दोनों किनारों पर 20-20 फीट चौड़े रास्ते बनाए गए, जिससे इसे एक रिवर फ्रंट का रूप दिया गया। जल संचय के लिए 65×45 फीट का एक 80 फीट गहरा कुआं बनाया गया, जिसकी भराव क्षमता 55 लाख लीटर है।

सम्मेलन में मिली सराहना:
राज्य जल मंत्रियों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सहित देशभर के मंत्री उपस्थित थे। केंद्रीय मंत्री पाटिल ने कहा कि जब एक गांव के लोग अपने प्रयासों से जल संरक्षण में इतना बड़ा बदलाव ला सकते हैं, तो जागरूकता के माध्यम से पूरे देश में यह संभव है।

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