अस्सी पार की आयु: भूख मिटाने को मनरेगा में बहा रहे पसीना
सागवाड़ा। साठ साल की उम्र के बाद लोग अमूमन शरीर को आराम देते हैं। सरकारी नौकरियों में सेवानिवृत्ति की आयु भी यही हैं। लेकिन प्रदेश के ग्रामीण अंचल में आज भी गरीबी का आलम यह है कि उम्र के अंतिम पड़ाव अस्सी साल पार की आयु में भी बुजुर्गों को मनरेगा में मजदूरी करके पेट भरना पड़ रहा है।
मनेगा में मजदूरी कर रहे प्रदेश में ऐसे बुजुर्गों की संख्या 48 हजार से ज्यादा है। राज्य में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 80 साल से अधिक आयु के 48 हजार 702 बुजुर्गों ने मनरेगा में मजदूरी की। इस आयु वर्ग में मजदूरी कर रहे डूंगरपुर जिले के 5855 बुजुर्ग भी शामिल है।
मजबूरी करवा रही मजदूरी
मनरेगा में मजदूरी करने वाले 80 व इससे अधिक आयु के लगभग सभी बुजुर्ग ग्रामीण अंचल से हैं। अस्सी की उम्र में पेट भरने के लिए इन बुजुर्गों को पसीना बहाना पड़ रहा है। कोई आर्थिक हालात के आगे बेबस है तो किसी के घर में कमाने वाला कोई नहीं है।
यानी इन सब से कोई न कोई मजबूरी ही मजदूरी करवा रही है। प्रदेश में डूंगरपुर ऐसा जिला है, जहां अस्सी व इससे अधिक उम्र के सर्वाधिक 5855 बुजुर्ग मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं। जबकि धौलपुर में इस आयु वर्ग के मजदूरी करने वाले बुजुर्ग सिर्फ 106 ही हैं।
सर्वाधिक प्रौढ़ मजदूर
प्रदेश में मनरेगा में मजदूरी करने वालों में सबसे ज्यादा 21 लाख 45 हजार 256 श्रमिक प्रौढ़ावस्था वाले हैं। जिनकी आयु 41 से 50 वर्ष के बीच है। जबकि 18 से 30 वर्ष आयु वर्ग के 9 लाख 26 हजार 795 श्रमिक, 31 से 40 साल की आयु के 20 लाख 28 हजार 463 मजदूर, 51 से 60 साल की आयु वाले 14 लाख 90 हजार 222 मजदूर तथा 61 से 80 साल तक की आयु के 10 लाख 71 हजार 284 और 80 से ज्यादा आयु वाले 48 हजार 702 श्रमिक शामिल हैं।
जिला श्रमिक
चित्तौडगढ़ 745
भीलवाड़ा 3974
प्रतापगढ़ 980
राजसमंद 1357
उदयपुर 1543
बांसवाड़ा 2001
डूंगरपुर 5855
अजमेर 2005
अलवर 266
बारां 774
बाड़मेर 4709
भरतपुर 200
बीकानेर 1364
बूंदी 465
चूरू 2055
दौसा 378
धोलपुर 106
हनुमानगढ़ 2110
जयपुर 312
जैसलमेर 861
जालौर 588
झालावाड़ 1124
झुंझुनूं 313
जोधपुर 2043
करौली 341
कोटा 555
नागौर 3985
पाली 1289
सवाईमाधोपुर 369
सीकर 419
सिरोही 524
श्रीगंगानगर 4610
टोंक 482
कुल 48702