जाने क्या है डिप्रेशन और उसका इलाज

Know what is depression and its treatment

डिप्रेशन: डिप्रेशन मतलब अवसाद जो की मानसिक रूप से इतना कमजोर हो जाना की आत्महत्या का मन करे ऐसा हमारी और बहार की स्थिति केबिच सही ताल मेल नहीं बैठा पाने से ऐसा होता है तनाव एक द्वन्द की तरह है

 

डिप्रेशन मतलब अवसाद जो की मानसिक रूप से इतना कमजोर हो जाना की आत्महत्या का मन करे ऐसा हमारी और बहार की स्थिति केबिच सही ताल मेल नहीं बैठा पाने से ऐसा होता है तनाव एक द्वन्द की तरह है जो व्यक्ति के मन एवं भावनाओं में अस्थिरता पैदा करता है।

तनाव से ग्रस्त व्यक्ति कभी भी किसी भी काम में एकाग्र नहीं हो पाता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सामान्य दिनचर्या में थोड़ी मात्रा में तनाव होना परेशान होने की बात नहीं क्योंकि इतना तनाव सामान्य व्यक्तित्व के विकास के आवश्यक होता है परन्तु यह यदि हमारे भावनात्मक और शारीरिक जीवन का हिस्सा बन जाए तो खतरनाक साबित हो सकता है।

डिप्रेशन उस व्यक्ति को होता है जो हमेशा तनाव में रहता है। प्राय: व्यक्ति जिस चीज के प्रति डरता है या जिस स्थिति पर उसका नियंत्रण नहीं रहता वह तनाव महसूस करने लगता है, जिस कारण उसके ऊपर एक दबाव बनने लगता है।

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अगर व्यक्ति लम्बे समय तक इन परिस्थितियों में रहता है तो धीरे-धीरे वह तनावग्रस्त जीवन जीने की पद्धति का आदी हो जाता हो तब यदि उसे तनावग्रस्त स्थिति न मिले तो वह इस बात से भी तनाव महसूस करने लगता है। यह अवसाद होने की प्रारम्भिक स्थिति होती है।
जाने क्या है डिप्रेशन के कारण
डिप्रेशन का कोई एक कारण नहीं होता चिकित्सकों व एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि डिप्रेशन के पीछे किसी कारण की कोई भूमिका नहीं होती। ये अलग-अलग कारणों से हो सकता है।


अस्वस्थ मनोदशा
अस्वस्थ मनोदशा एक ऐसी मनोदशा होती है जिसके कारण हमें सुख का अनुभव नहीं होता। इसमें चिंता, उदासीनता, खालीपन, निराशा, घबराहट आदि सम्मिलित हैं। इन सभी के कारण अगर हमें सुख ना मिले तो हम हमेशा दुखी रहते हैं और इन सब के कारण हमारी उर्जा का नुक़सान होता रहता है।

हमारा मानसिक स्तर प्रभावित होता रहता है।अस्वस्थ मनोदशा के कारण हमें डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। हमारे मन में नकारात्मक विचार उठते रहते हैं। हम अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। इसी के साथ साथ हमें बार बार निराशा का अनुभव होता रहता है। अस्वस्थ मनोदशा के कारण हम जल्दी इरिटेट हो जाते हैं। अच्छे काम को भी हम बुरा कह जाते हैं।
निद्रा की कमी
मनुष्य को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरूरी है नींद पूरी करना। एक वयस्क इंसान को 24 घंटे में कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेने की आवश्यकता होती है।अगर वह अपनी नींद पूरी नहीं कर पाता है तो उसे थकावट महसूस होगी। थकावट के कारण उसे हर काम में आलस्य लगेगा। इन्हीं सब कारणों से उसका पूरा शरीर भारी रहेगा और वह खुद को तरोताजा महसूस नहीं कर पाएगा। नींद की कमी से व्यक्ति का किसी भी कार्य में दिल नहीं लगता।

फलस्वरूप वो अपने काम को टालता रहता है। इससे न सिर्फ़ काम ही पीछे रह जाता है बल्कि व्यक्ति को भयंकर डिप्रेशन भी हो सकता है।नींद की कमी से मस्तिष्क अशांत हो जाता है जिससे ना चाहते हुए भी दिमाग़ में नकारात्मक विचार आते हैं। इससे डिप्रेशन की समस्या का जन्म हो सकता है।

संज्ञानात्मक
संज्ञानात्मक अर्थात सोचने की क्षमता का कम होना। इसके कारण व्यक्ति की एकाग्रता में कमी हो सकती है। वह हर काम धीमी गति से करता है। वह हर छोटी छोटी चीजों को भूल जाता है और उसे कुछ भी याद नहीं रहता। उसे कुछ नई और कुछ पुरानी बातें याद आती रहती हैं। ये सब चीज़ें है जो मनुष्य को डिप्रेशन का शिकार बना सकती हैं।

नशा यह एक ऐसी आदत है जिसमें लोग वास्तविकता से दूर रहते हैं। उनमें वास्तविकता स्वीकार करने की शक्ति नहीं होती। एक प्रकार से हम यह कह सकते हैं कि नशे से ग्रस्त लोग डरपोक हो सकते हैं। नशा करने वाला कोई भी व्यक्ति जीवन के उतार चढ़ाव का सामना करने की क्षमता को खो देता है।

नशे से ग्रस्त कोई भी इंसान वास्तविकता से इतना दूर हो जाता है कि यदि उसे वास्तविक जीवन की थोड़ी भी परेशानी सामने दिखती है तो वह तुरंत डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। नशा डिप्रेशन का एक बहुत बड़ा कारण है।

डिप्रेशन के लक्षण बेवजह थकान महसूस होना

  • उदास मन
  • चिड़चिड़ापन
  • आत्मसम्मान की कमी
  • ऊर्जा के स्तर में गिरावट या सुस्ती
  • निराशा महसूस होना
  • अपराध बोध और बेकार की बातों के बारे में सोचना
  • बेचैनी या एंग्जाइटी(Anxiety)
  • सिर और शरीर में दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • दूसरों से अलग होना
  • नींद में गड़बड़ी व नींद के चक्र में बदलाव।
  • सोचने और निर्णय लेने में कठिनाई
  • भूख में परिवर्तन

डिप्रेशन से बचने के उपाय (Prevention Tips for Depression)
डिप्रेशन के प्रभाव से बचने के लिए जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।

आहार
अवसाद के रोगी को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए तथा ऐसे फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो।

पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए जिसमें शरीर के लिए जरूरी सभी विटामिन्स और खनिज हो।

हरी पत्तेदार सब्जियाँ एवं मौसमी फलों का सेवन अधिक करें।
चुकन्दर (Beetroot) का सेवन जरूर करें, इसमें उचित मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जैसे विटामिन्स, फोलेट,यूराडाइन और मैग्निशियम आदि। यह हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स की तरह काम करते हैं जो कि अवसाद के रोगी में मूड को बदलने का कार्य करते हैं।

अवसाद के रोगी में अस्वस्थ भोजन एवं अधिक भोजन करने की प्रवृत्ति होती है। अतः अवसाद के रोगी को जितना हो सके जंक फूड और बासी भोजन से दूर रहना चाहिए । इसकी बजाय घर पर बना पोषक तत्वों से भरपूर और सात्विक भोजन करना चाहिए।

अपने भोजन में ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। इसमें उचित मात्रा में एंटी-ऑक्सिडेट्स और मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड्स पाये जाते हैं, यह हृदय रोग तथा अवसाद को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

अपने भोजन में एवं सलाद के रूप में टमाटर का सेवन करें। टमाटर में लाइकोपीन नाम का एंटी-ऑक्सिडेंट पाया जाता है जो अवसाद से लड़ने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार जो लोग सप्ताह में 4-6 बार टमाटर खाते हैं वे सामान्य की तुलना में कम अवसाद ग्रस्त होते हैं।

जंक फूड का सेवन पूरी तरह छोड़ दें।

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