भील प्रदेश को लेकर महारैली: चार राज्यों के आदिवासी एकत्रित, सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी स्थित मानगढ़ धाम पर एक विशाल आदिवासी सभा आयोजित होने जा रही है, जिसमें भील प्रदेश के नाम से एक नया राज्य बनाने की मांग की जाएगी। इस सभा में राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से भी आदिवासी समाज के लोग भाग लेंगे। सभा के मद्देनजर प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट जारी कर चुकी हैं।

इस आंदोलन को लेकर देशभर के भील समाज के 35 से अधिक संगठन सक्रिय हैं। राजस्थान के दक्षिणांचल से भील प्रदेश की मांग जोर पकड़ रही है। वागड़ से राजनीतिक ताकत मिलने पर बीएपी ने अन्य जिलों और राज्यों के आदिवासियों को साथ लेकर अलग राज्य और संगठन को मजबूत बनाने की मुहिम तेज कर दी है।

कार्यक्रम में मुख्य मांगें हैं:

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1. भील प्रदेश की स्थापना: राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, और मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश का गठन।

2. टीएसपी क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची लागू करने: क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची का पूर्ण कार्यान्वयन और जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण।

राजस्थान में प्रस्तावित 12 जिले:

– बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली।

गुजरात के प्रस्तावित जिले:

– अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, बड़ोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा, भरूच।

मध्यप्रदेश के प्रस्तावित जिले:

– इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, अलीराजपुर।

महाराष्ट्र के प्रस्तावित जिले:

– नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार, वलसाड़।

सरकार का रुख स्पष्ट है कि जाति के आधार पर राज्य का गठन नहीं किया जा सकता। टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो अन्य जातियाँ भी इसी प्रकार की मांग करेंगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो धर्म बदल चुके हैं, उन्हें आदिवासी आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

भील प्रदेश की मांग को लेकर बीएपी पुरजोर तरीके से यह मुद्दा उठा रही है। बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने बताया कि महारैली के बाद एक डेलीगेशन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से इस प्रस्ताव के साथ मुलाकात करेगा।

सुरक्षा एजेंसियों ने कार्यक्रम स्थल पर विशेष प्रबंध किए हैं और आने वाले आदिवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। मानगढ़ धाम पर पार्किंग की व्यवस्था न होने के कारण पहाड़ी के नीचे वाहनों को रोका जा रहा है और लोग पैदल ही कार्यक्रम स्थल तक पहुँच रहे हैं।

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