—पूर्व में भी चोरी का गोल्ड बेचने के मामले में गिरफ्तार हो चुका है गोल्ड व्यापारी
—महाराष्ट्र पुलिस ने चार किलो गोल्ड के जेवरात खरीदने वाले व्यापारी से सागवाडा थाने में पूछताछ शुरू की
सागवाडा। शहर के वैभव पवन गांधी को एक बार फिर चोरी के जेवरात बेचने के आरोप में पुलिस गिरफ्त में है। इस बार महाराष्ट्र पुलिस ने वैभव को चार किलो गोल्ड के जेवरात के पैसे समय पर नही चुकाने के लिए इंदौर से गिरफ्तार कर सागवाडा थाने में लाया गया है। जहां से उसकी ओर से जेवरात बेचने वाले सर्राफा व्यापारियों से पूछताछ चल रही है।
दरअसल विश्वसनीय सुत्रों के अनुसार सागवाडा के सर्राफा व्यापारी वैभव गांधी को महाराष्ट्र पुलिस गिरफ्तार कर सागवाडा थाने में लेकर आई। जहां पर उस पर महाराष्ट्र के मुम्बई पुलिस थाने में जेवरात खरीदने के बाद पैसा नही चुकाने के मामले में गिरफ्तार किया है। उसकी ओर से महाराष्ट्र के मुम्बई में एक व्यापारी से करीब 4 किलो गोल्ड के जेवरात खरीद कर रफफूचक्कर होने के आरोप लगे है।
परेशान व्यापारी ने मुम्बई के थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस लम्बे समय से उसकी तलाश कर रही थी। तलाशी के दौरान अलग—अलग जगह फरारी काट रहा था। मुम्बई पुलिस ने उसे इंदौर के किसी होटल से गिरफतार कर लिया। जहां पर उसकी अग्रीम पूछताछ के तहत सागवाडा थाने में लेकर आई है।
जहां पर सागवाडा शहर में अलग—अलग व्यापारी ने वैभव गांधी से जेवरात खरीदे है। इन जेवरात के आधार पर संबंधित व्यापारी को थाने में लाकर पूछताछ की जा रही है।
मुम्बई और अहमदाबाद से बगैर बिलिंग के जेवरात की धडल्ले से होती है बिक्री
सागवाडा शहर में जेवरात की अधिकांश दूकानों में अहमदाबाद और मुम्बई के जेवरात बेचे जाते है। यहां पर बगैर बिलिंग के बडे—बडे व्यापारी माल खरीदते है। जिससे उन्हें लाखों रुपए के टैक्स की बचत होती है। इसी के चलते सागवाडा शहर के कई व्यापारी से वैभव गांधी से जेवरात खरीदे है। इन जेवरात खरीदने के पीछे टैक्स चोरी मुख्य कारण है।
अधिकांश व्यापारी जेवरात खरीदते समय सरकार की ओर से बिलिंग के झंझट से बचने के लिए ऐसे बिचोलियों पर विश्वास करते हुए जेवरात खरीदते है। वही जेवरात को आमजन को बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जाता है। ऐसे बिचोलिए जब पुलिस में फंसते है तो व्यापारी राजनीतिक दबाव बनाकर मामला रफा—दफा करने में जुट जाते है।
वागड में बिचोलियों का बडा जाल
डूंगरपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ और उदयपुर के कुछ हिस्सों में सोने—चांदी के जेवरात बगैर बिलिंग के धडल्ले से बेचा जाता है। यहां पर अधिकांश व्यापारी सरकार को टैक्स से बचने के लिए कच्ची बिलिंग करते है। इसके लिए गुजरात और महाराष्ट्र से बने जेवरात को चुपचाप मंगवाकर बेचा जाता है। इन बेचने वाले अक्सर पुलिस और आयकर विभाग से बचकर काम करते है।
इन बिचौलियों को जेवरात पर अच्छा खांसा कमिशन मिलता है। वही पूरा बिजनेस हवाला के पैसों पर चलता है। इन हवाला के पैसों का कनेक्शन गल्फ कंट्री तक रहता है। इसके अलावा जेवरात के बिजनेसमैन नगद पैसों को फाइनेंस में लगा रखा है। जहां पर उन्हें डबल मुनाफा मिलता है।