डूंगरपुर। जिला परिषद डूंगरपुर की साधारण सभा की बैठक शुक्रवार को बहिष्कार की भेंट चढ़ गई। अधिकारी 11 बजे से ही हॉल में आकर बैठ गए। दोपहर साढ़े 12 बजे जिला प्रमुख के साथ सभी मेंबर बैठक में आए। 10 मिनट में नए मेंबर के स्वागत करने के बाद बैठक का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद जिला प्रमुख से लेकर मेंबर और सभी अधिकारी हॉल से निकल गए।
जिला परिषद डूंगरपुर की शुक्रवार को साधारण सभा की बैठक 11 बजे शुरू होनी थी। बैठक के लिए कई विभागों के अधिकारी समय पर ही पहुंच गए और जिला परिषद के बैठक हॉल में जाकर बैठ गए। इसके बाद एक-एक कर अधिकारियों की सभी कुर्सियां भर गई, लेकिन जिला परिषद मेंबर, प्रधान की कुर्सियां खाली रही। अधिकारी जिला प्रमुख, मेंबर के आने और बैठक के शुरू होने का इंतजार करते रहे। 12 बजे बाद जिला परिषद के सीईओ दीपेंद्र सिंह राठौड़ बैठक में पहुंचे। कुछ देर बाद ही बिछीवाड़ा प्रधान देवराम रोत, डूंगरपुर प्रधान कांता पहुंच गए। साढ़े 12 बजे जिला प्रमुख सूर्या अहारी, उपजिला प्रमुख सुरता परमार सहित बीजेपी, कांग्रेस और बीटीपी के मेंबर भी बैठक में एक साथ आ गए।
शुरुआत में जिला परिषद की कनबा सीट से नए मेंबर गुलशन का स्वागत किया गया। नेता प्रतिपक्ष कमलेश अहारी ने जिला परिषद सदस्यों की मांगों को लेकर बहिष्कार की बात कही। कांग्रेस, बीजेपी और बीटीपी के सभी सदस्यों ने इसका समर्थन करते हुए बहिष्कार कर दिया। जिला परिषद सदस्य संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रमुख को ज्ञापन दिया। इसके बाद जिला प्रमुख सहित सभी मेंबर और अधिकारी बैठक से निकल गए।
जिला परिषद सदस्य संघर्ष समिति ने 11 सूत्रीय मांगों को लेकर बहिष्कार किया है। सदस्यों ने मासिक वेतन 30 हजार रुपए प्रतिमाह, बैठक भत्ता 5 हजार रुपए करने, पेंशन योजना लागू करने, एफएफसी, एसएफसी, बीआरजीएफ, माडा और महानरेगा योजना की राशि सदस्यों की सहमति से विकास कार्य स्वीकृत करने, प्रत्येक सदस्य को विकास कार्य के लिए 50 लाख रुपए सालाना देने सहित कई मांगें रखी हैं। कमलेश ने कहा कि जिला परिषद मेंबर को जीतकर आने के बाद सिर्फ जिला प्रमुख और उपजिला प्रमुख की वोटिंग तक ही पूछते हैं। इसके बाद जिला परिषद मेंबर के पास कोई अधिकार तक नहीं है, जबकि 10 से 12 पंचायतों पर एक जिला परिषद सदस्य जीतकर आता है। ऐसे में सरकार को जिला परिषद सदस्य को भी अधिकार और बजट देना चाहिए।