- राजस्व विभाग की मुफ़्त सेवाओं पर पटवारी टैक्स!
 - -राजस्व विभाग के नियम भले निशुल्क हों, लेकिन बिना लेनदेन कामकाज मुश्किल
 - राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार करने की पुरानी बीमारी, हर बार पटवारी आते है गिरफ्त में बडे अधिकारी एसीबी की गिरफ्त से दूर
 - —हर सिस्टम ई—मित्र कियोस्कर और ऑनलाइन से जुडा हुआ फिर भी पटवारी से सिल साइन और सत्यापित कॉपी के चक्कर में आमजन पैसा देने को मजबूर
 - —सागवाडा उपखंड में एसीबी की लगातार दूसरी कार्रवाई में नवनियुक्ति पटवारी बने भ्रष्टाचारी
 
सागवाडा। केंद्र और राज्य सरकार राजस्व में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए तकनीकी व्यवस्था लागू कर दी है। जिसमें कोई भी आमजन ऑनलाइन, ईधरती साफटवेयर, भूनक्क्षा से अपनी खातेदारी जमीन की जानकारी ले सकते है लेकिन उच्च अधिकारी इन नकलों और दस्तावेज को वैध नही मानते है। वो पटवारी की सील और साइन के बाद ही इन दस्तावेज को उपयोगी मानते है। इसी व्यवस्था के कारण जिम्मेदार अधिकारी भष्ट्राचार को बढावा देते है।
आम व्यक्ति या किसान इन दस्तावेज के चक्कर में पटवारी को रिश्वत देता है। जिससे धीरे—धीरे यह सिस्टम का हिस्सा बन जाता हैं। आज राजस्व की कोई भी फाइल, नकल या दस्तावेज को बगैर पैसा आगे नही खिंचकाया जाता है। रसूखदार और राजनीतिक पहुंच रखने वाले लोगों के लिए राजस्व विभाग एक आज्ञाकारी कर्मचारी की तरह काम करते है। वही आमजन, गरीब किसान और महिलाओं के लिए उन्हें सभी नियम कायदे याद आ जाते है।
सागवाडा क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह में दो पटवारी पर एसीबी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए ट्रेप किया। जिसमें गामडा बामणिया पटवारी को को रंगे हाथो गिरफ्तार किया। वही गडा झुमजी के पटवारी को भनक लगते ही भाग गया। दोनो पटवारी किसान से नामांकरण और पेनल्टी शुल्क के लिए पैसा मांग रहे थे। पटवारी को पैसा नही मिलने के कारण पिछले तीन माह से पटवार मंडल के चक्कर काटने को मजबूर थे।
दोनो पटवारी की नियुक्ति वर्ष 2022 में हुई थी। ऐसे में इन पटवारी की नियुक्ति हुए तीन साल भी पूरे नही हुए है। दोनो भ्रष्टाचारी बन चुके है। इसको रोकने की जिम्मेदारी निभाने वाले गिरदावर, तहसीलदार भी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। सरकार भले ही आमजन को राहत देने के लिए शिविर लगा रही है लेकिन इन शिविर में वही काम हो रहे है जो पटवारी और गिरदावर की मर्जी है। राजस्व विभाग के कार्यालय में धूल खा रही फाइलों पर कोई जनसुनवाई नही हो रही है। इसके कारण लोगों को अभी भी भ्रष्टाचार खत्म् होने की उम्मीद बहुत कम दिखती है।
ऑनलाइन सिस्टम सिर्फ उच्चाधिकारियों के लिए लागू
सरकार की ओर अधिकांश विभाग में राजकार्य सिस्टम लागू कर दिया है। वही राजस्व विभाग में अभी भी कई कार्य ऑनलाइन पोर्टल पर संचालित नही होते है। इसी के कारण आमजन को पटवारी के चक्कर काटने को मजबूर होते है। डिजिटलाइजेशन में अधिकारियों की मनमर्जी से जमीनी खातों में छेडछाड, नक्क्षा में परिवर्तन, नामांतरण, म्यूटेशन, सीमाबंदी, पत्थरगढी और पेनल्टी रसीद जैसे कार्य अभी भी ऑफलाइन मोड पर चुपचाप चलते है।
इसके कारण पटवारी आमजन से मोटा पैसा वसूल करते है। स्वायत शासन विभाग की ओर से अब शहरी निकाय में ऑफ़लाइन कार्य करने पर सख्ती से कार्रवाई कर रही हैं। इसका फायदा यह ही हुआ है कि नगर निकाय में भ्रष्टाचार धीरे—धीरे कम होता जा रहा है। वही राजस्व विभाग में अभी भी कई कार्य ऑफलाइन मोड पर करता है। इसके कारण भ्रष्टाचार लगातार बढता जा रहा है।
पटवारी की प्रमुख जिम्मेदारियाँ
– भूमि माप और रिकॉर्ड का रखरखाव
– गिरदावरी (फसलों का विवरण)
– सीमांकन और बंटवारा
– भूमि से जुड़े कर (राजस्व) की वसूली
– सरकारी योजनाओं का सत्यापन (जैसे पीएम किसान योजना)
– आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र जारी करना
– भूमि विवादों में मध्यस्थता और अतिक्रमण रोकना
					
		