Senior Citizen Ticket Concession : सीनियर सिटीजन को स्लीपर और 3rd AC ट्रेन टिकट में मिलेगी छूट

Senior Citizen Ticket Concession : लंबे समय से भारतीय रेलवे में सीनियर सिटीजन को मिलने वाले टिकट छूट को बंद कर रखा है. जिसके बाद देश भर की सीनियर सिटीजन रेलवे टिकट में सीनियर सिटीजन को मिलने वाली छूट की मांग कर रहे हैं. कई बार रेल मंत्री ने इस पर अपना जवाब भी दिया है. लेकिन, अभी तक इस पर कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया है. सूत्रों की मानें तो आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की मोदी सरकार सीनियर सिटीजन को मिलने वाले टिकट छूट पर कई बड़े ऐलान कर सकती हैं. जिससे सीनियर सिटीजन को रेलवे में यात्रा करने पर टिकट छूट के साथ कई तरह की अन्य सुविधाएं भी मिल सकती हैं.

नियमों में हो सकता है बदलाव
रेलवे बोर्ड ने बताया कि वह वरिष्ठ नागरिकों को रियायत देने का प्लान बना रही है, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए सब्सिडी बरकरार रखते हुए इन रियायतों की लागत को कम करने का विचार है. फिलहाल अभी तक किसी भी नियम और शर्तों को तय नहीं किया गया है.

53 फीसदी की मिलती है छूट
रेल मंत्रालय (Ministry Of Railways) की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, ट्रेन में सफर करने वाले सभी नागरिकों को किराए पर औसतन 53 फीसदी का डिस्काउंट मिलता है. इसके साथ ही दिव्यांगजनों, स्टूडेंट्स और मरीजों को इस छूट के अलावा भी कई तरह की रियायतें मिलती हैं.

किस क्लास में मिलेगी छूट?
राज्यसभा में रेलमंत्री से रेलवे कंसेशन को लेकर के सवाल किया गया कि क्या रेलवे फिर से ट्रेन टिकटों पर छूट की सुविधा देगा. इस पर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि 2019-20 में रेलवे ने पैसेंजर टिकट पर 59,837 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है. इसके अलावा संसद से जुड़ी स्थाई समीति ने स्लीपर और थर्ड एसी में सफर करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन टिकट में कंसेशन देने का सुझाव दिया है.

670 करोड़ रुपये की सब्सिडी की माफ
भाजपा सांसद सुशील मोदी के एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, मंत्री ने बताया कि 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान वरिष्ठ नागरिकों को यात्री किराए में रियायत के कारण राजस्व लगभग 1,491 करोड़ रुपये, 1,636 करोड़ रुपये और 1,667 रुपये था. 2017-18 में नॉन-एसी क्लास की ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए 670 करोड़ रुपये की सब्सिडी माफ की गई थी, जबकि एसी क्लास में सब्सिडी के लिए 820 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. 2018-19 में नॉन-एसी क्लास में इन रियायतों पर 714 करोड़ रुपये और एसी क्लास में 921 करोड़ रुपये खर्च किए गए. 2019-20 में नॉन एसी क्लास के लिए 701 करोड़ रुपये की छूट थी, जबकि एसी क्लास के लिए यह 965 करोड़ रुपये थी.

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