Shani Pradosh Vrat 2023 : यह आषाढ़ के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत है. आज शनि प्रदोष व्रत के दिन 3 शुभ योग बने हैं. जिन लोगों को आज रुद्राभिषेक करना है, उनके लिए शिववास सुबह से रात 11:07 बजे तक है. शनि प्रदोष के दिन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है. महादेव की कृपा से संतानहीन दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है. दिन के आधार पर प्रदोष व्रत के महत्व भी अलग-अलग होते हैं. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं शनि प्रदोष व्रत और पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और योग के बारे में.
शनि प्रदोष व्रत मुहूर्त 2023
आषाढ़ शुक्ल की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: आज, 01:16 एएम से
आषाढ़ शुक्ल की त्रयोदशी तिथि का समापन: आज, 11:07 पीएम पर
शुभ योग: आज, सुबह से लेकर रात 10 बजकर 44 मिनट तक
शुक्ल योग: आत, रात 10 बजकर 44 मिनट से कल सुबह तक
रवि योग: आज, दोपहर 03 बजकर 04 मिनट से कल सुबह 05 बजकर 27 मिनट तक
शनि प्रदोष पर शिव पूजा मुहूर्त: आज, शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक
शनि प्रदोष व्रत और पूजा विधि
आज सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहन लें. फिर शनि प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें. सुबह में दैनिक पूजा कर लें. पूरे दिन भगवान शिव की भक्ति और भजन में समय व्यतीत करें. ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करते हुए तामसिक वस्तुओं से दूर रहें. दिन में फलाहार कर सकते हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त.
शाम के समय में पूजा मुहूर्त है, उसमें भी लाभ-उन्नति मुहूर्त शाम 07:23 बजे से रात 08:39 बजे तक है. इस समय में शिव मंदिर जाएं या घर पर ही शिवलिंग की पूजा करें. सबसे पहले गंगाजल और गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें. फिर फूल, अक्षत्, चंदन, बेलपत्र, भांग, यज्ञोपवीत, आक के फूल, धतूरा, शमी के पत्ते, फल, मिठाई, शहद आदि भोलेनाथ को चढ़ाएं.
फिर शिव चालीसा पढ़ें और शनि प्रदोष व्रत कथा को सुनें. उसके बाद घी के दीप से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की आरती करें. पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना करते हुए भगवान शिव से संतान प्राप्ति के लिए आशीर्वाद मांगें या आपकी जो भी मनोकामना है, उसे व्यक्त कर दें.
रात्रि के समय में जागरण करें. फिर कल सुबह स्नान के बाद पूजा पाठ करें. अपनी क्षमता के अनुसार किसी गरीब ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें. उसके बाद पारण करके शनि प्रदोष व्रत को पूरा करें. पारण किए बिना व्रत को पूर्ण नहीं माना जाता है.