Banswara News : जिला कोष कार्यालय में स्टांप-टिकट घोटाले में पुलिस ने खुलासा कर दिया है। इसमें सबसे अहम बात कि यह पूरा घोटाला 2018 से शुरू हुआ जब नारायणलाल की जॉइनिंग हुई। नारायण स्ट्रॉन्ग रूम से कुछ स्टांप चुराकर स्टांप वेंडर आशीष जैन को उधार देता था। इसी के साथ ही इनकी अवैध कमाई बढ़ती गई और दोनों ने इस कमाई से कई जमीनें खरीदना शुरू कर दिया।
पैसों की लालच ऐसे बढ़ गई कि इन्होंने नकली स्टाम्प और टिकट प्रिंट कर बैचना शुरू कर दिया। 6 महीने पहले ही इन्होंने दो प्रिंटर खरीदे थे। इससे इनकी आवक दो तरफ से बढ़ गई। पहली स्ट्रोंग रूम से बिना पैसे मिलने वाले स्टाम्प से कमाई और दूसरी नकली स्टाम्प और टिकट से आय।
एसपी हर्षवर्धन अगरवाला ने बताया कि 2018 से ये लोग स्टाम्प घोटाला कर रहे थे। लेकिन वर्ष 2020 और 2021 में आए कोरोना के कारण उनकी बिक्री रुक गई। 2022 तक भी कोरोना की असर रहने के कारण स्टांप-टिकट की बिक्री कम रही। लेकिन इसके बाद मार्केट में जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती गई उन्होंने धीरे-धीरे स्ट्रॉन्ग रूम से स्टांप-टिकट वापस बेचना शुरू कर दिए।
एसपी ने बताया कि इस मामले में दोनों आरोपियों के साथ आशीष जैन का सहायक खांदू कॉलोनी निवासी भरत कुमार राव भी मदद करता था। इसलिए दोनों को गिरफ्तार कर भरत को भी गिरफ्तार किया है। स्टांप के रुपए रिकवरी के लिए भी उनकी प्रॉपर्टी भी अटेच की जा सकती है।डीएसपी सूर्यवीरसिंह ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ कर स्टांप बेचकर कमाए 2.28 लाख से अधिक रुपए बरामद किए हैं। मामले की गहनता से जांच की जा रही है।
वेंडर आशीष को पुलिस ने कलेक्ट्रेट परिसर में उसकी टेबल पर मौका तस्दीक कराई। एसपी ने बताया कि आरोपी रंगीन प्रिंटर से नकली टिकट छाप रहे थे। आरोपी आशीष और कैशियर के घर की तलाशी ली गई। आशीष के घर से प्रिंटर और करीब 500 करीब नकली टिकट बरामद हुए हैं। तीनों ने मिलकर स्ट्रॉन्ग रूम से करीब 10 लाख टिकट और स्टांप बेचे। डीएसपी ने बताया कि प्रिंटर से छापे जा रहे नकली टिकट को जानकार आसानी से पहचान सकते थे, लेकिन इन्होंने ऐसे लोगों को नहीं बेचे जिनको इनके बारे में जानकारी हो। उन्होंने सीधे ग्राहकों को ही बेचे, ताकि पकड़ में न आए।
गौरतलब है कि स्टाम्प घोटाला तब सामने आया जब जिला कोष अधिकारी ने फरवरी में जॉइन करने के बाद स्ट्रोंग रूम का भौतिक सत्यापन किया। इसमें स्टाम्प और टिकट के स्टॉक और मौके पर उपलब्धता में अंतर आया। इसके बाद कमेटी गठित कर जांच करने पर सामने आया कि कुल 5 करोड़ 23 लाख 88 हजार 511 रुपए के स्टाम्प कम पाए गए। इसके बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।