– चौरासी के रण में भाजपा और कांग्रेस के क़द्दावर आदिवासी नेता जीत दिला पायेंगे या बाप का ही बजेगा डंका
– बाप ने विधानसभा में 69 हजार से जीत दर्ज की थी, लोकसभा में 56 हजार से अधिक वोट लिये थे
चंद्रेश व्यास। सागवाडा।विधानसभा चुनाव में बड़े मार्जिन से चौरासी सीट से बाप के राजकुमार रोत ने जीत दर्ज की थी। करीब 69 हजार से जीत दर्ज करने वाले राजकुमार के सांसद बनने से यहां अब उप चुनाव हो रहे हैं। सांसद के चुनाव में भी राजकुमार ने यहां से करीब 56 हजार वोट लिये थे।
हालाँकि विधानसभा चुनाव से यह मार्जिन बाप के लिये कुछ कम था। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का बाप को समर्थन था। अब वोट का गुणाभाग क्या बैठता है। राजस्थान में भाजपा की सरकार है और ये उपचुनाव मुख्यमंत्री भजनलाल की परीक्षा भी बताये जा रहे हैं। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो कांग्रेस अब भी तीसरें नंबर पर है।
इस बार भी बाप, भाजपा और कांग्रेस मैदान में हैं। बाप के लिये चुनौती बड़े मार्जिन से जीती की रहेगी। इधर, भाजपा के पुराने क़द्दावर आदिवासी नेताओं को मुख्यमंत्री के सामने अपनी क़ाबिलियत दिखाने का मौक़ा है यदि यह सीट भाजपा जीतने में कामयाब हो पाती है। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस चुनौती आदिवासी युवा वोटर है।
इन आदिवासी युवा वोटर को लुभाने या अपनी और आकर्षित करने में दोनों पार्टियां असफल हो रही हैं। 69 हजार और 56 हजार ये वोटों का बड़ा गेप है। इस अंतर को देख कर साफ समझा जा सकता है कि भाजपा और कांग्रेस ने कैसे अपना जनाधार खोया है।
इसलिए दोनों पार्टियों के बड़े नेता यहां से चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे थे और नये लोगों को मौका मिल सका है। यहीं कारण है कि कांग्रेस ने युवा चेहरे महेश रोत को उतारा है। भारत आदिवासी पार्टी ने सबसे पहले अनिल कटारा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
है। बीजेपी ने कारीलाल ननोमा को उम्मीदवार बनाया हैराजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा पड़ोसी राज्य गुजरात से सटी हुई है। चौरासी के कई गांव डूंगरपुर मुख्यालय की जगह गुजरात में अपने कामकाज को लेकर आते जाते हैं। इस सीट पर 70 फीसदी एसटी वोटर्स हैं, जबकि 10 फीसदी ओबीसी और 20 फीसदी जनरल, अल्पसंख्यक और एससी वोटर्स हैं।
1967 से लेकर आज तक इस सीट पर 12 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें से 6 बार कांग्रेस ही इस सीट पर काबिज रही। यानी ये कहें कि चौरासी विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत रही है, लेकिन पिछली 2 बार से ये सीट राजकुमार रोत के कब्जे में रही. 2018 में बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) और इसके बाद 2023 में बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी) से विधायक बने। दूसरी बार 69 हजार के बड़े अंतर से राजकुमार रोत जीते।
इससे पहले कभी किसी ने इतने बड़े मार्जिन से जीत हासिल नहीं की थी, जबकि भाजपा केवल 3 बार ही इस सीट पर जीत हासिल कर सकी है। वहीं, 1 बार जेएनपी ने जीत हासिल की।