गर्मी बढ़ने के साथ बढ़ी मटकों की डिमांड, जमकर हो रही खरीददारी



सागवाड़ा। चिलचिलाती गर्मी में सूखे कंठ को तर करने के लिए मिट्टी से बने घड़ों और मटकियों का पानी काफी राहत देने वाला होता है। गर्मी के मौसम में मटकों की डिमांड काफी बढ़ गई है।

सागवाड़ा शहर व आसपास गांवों में डिजाइनर और क्वालिटी के हिसाब से ग्राहकों को 100 रुपए से डेढ़ सौ रुपए मिट्टी के मटके उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

मनोज प्रजापत ने बताया कि यह काम हमारा पुश्तैनी काम है। जिसको हम करते आए हैं। क्वालिटी के हिसाब से मटकों की अलग-अलग रेंज है। इसमें स्थानीय मटको की कीमत थोड़ी ज़्यादा है। इसके अलावा गुजराती मटके भी बाजार में उपलब्ध है।

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मिट्टी की क्वालिटी अलग होने से मटके का पानी अधिक ठंडा रहता है। इसके अलावा पारंपरिक मैचों के साथी डिजाइनर मटके भी बाजार में आ रहे हैं सेहत को सही रखने के साथ अपनी डिजाइन से घर की सुंदरता को भी बढ़ावा दे रहे हैं। मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।

मटका मिट्टी से बना होने के कारण पानी के साथ धातु तत्वों का मिश्रण नहीं हो पाता है। मटका मिट्टी से वाष्पीकरण की प्रक्रिया से पानी को ठंडा करता है। इस वजह से वातावरण की नमी भी बनाए रखता है। मटके का पानी इंसान के पीएच लेवल को नियमित करता है।

मटकों की डिमांड

पीएच लेवल किसी चीज की अम्लीय व क्षारीय शक्ति को दर्शाता है। मनुष्य के एंजाइम 7.35 से 7.45 की पीएच पर उत्तम कार्य करते हैं। शारीरिक कार्यों को उत्तम क्षमता से करने के लिए उचित पीएच लेवल का होना आवश्यक है।

– डॉ. पुनीत जैन, सागवाड़ा

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