सागवाड़ा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अंगूठा लगाकर कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था अब पुरानी बात हो गई है। यहां न तो उप जिलाअस्पताल में और ना ही ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में ऑनलाइन बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज की जा रही है। हालांकि चिकित्सक समेत विभागीय अधिकारी कर्मचारी इस व्यवस्था के तहत भी हाजरी लगाकर सेवा दे रहे थे, लेकिन कोरोनाकाल में संक्रमण के फैलाव पर नियंत्रण के लिए बायोमैट्रिक मशीन से उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था पर विराम लगा दिया गया था, उसके बाद से ही मशीनें बंद पड़ी हुई है। उच्च स्तर से भी इस मामले में पूछपरख नहीं की जा रही है।
इससे पहले ऐसे हो रही थी निगरानी
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना के संक्रमण काल से पहले प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था लागू की गई थी। इसके लिए अस्पतालों में बायोमैट्रिक मशीने लगाई गई थी। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी सम्बंधित अस्पताल के प्रभारी अधिकारी करते थे। मशीने भी सम्बंधित अस्पतालों की ओर से खरीद की गई थी तथा व्यवस्था सुस्त होने से यह मशीनें भी सम्बंधित अस्पतालों के कब्जे में ही हैं।
रहती थी लेटलतीफी पर कड़ी निगरानी
सरकारी कार्यालयों में अक्सर लेट लतीफी ओर ड्यूटी के समय भी नदारद रहने के मामले सामने आते रहते है। इस तरह की शिकायतों के बाद विभिन्न विभागों में बायोमैट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था शुरू की गई थी। कर्मचारियों को कुर्सी पर बैठने से पहले बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज कराना होता था। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग समेत कुछ अन्य कार्यालयों में भी ऐसे ही प्रभावी कदम उठाए गए थे। इससे देरी से आने ओर जल्दी चले जाने वालों पर निगरानी रहने लगी थी। कई बार देरी होने पर कर्मचारियों को दौड़ लगाते हुए पहुंचना पड़ता था।
पहले बायोमैट्रिक मशीन से उपस्थिति दर्ज की जा रही थी, लेकिन कोरोनाकाल में यह व्यवस्था बंद हो गई थी। उसके बाद उच्च स्तर से भी किसी तरह के दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। इससे फिलहाल तो ये बंद ही है।
कहां कितनी मशीनें
उप जिला अस्पताल सागवाड़ा : 1
सीएससी : 3
पीएचसी : 10
डॉ. पंकज खाट, सीएमएचओ, सागवाड़ा