50 वर्षो से अधिक समय से चली आ रही है परंपरा
सागवाड़ा । मकर सक्रांति के एक दिन पूर्व सागवाड़ा में प्रतिवर्ष महिलाओ द्वारा गोग्रास का आयोजन की परंपरा को निभाया जा रहा है। आयोजन के तहत सागवाड़ा के पोल का कोठा स्थित सोनिया के मंदिर के पीछे गोग्रास का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नगर की महिलाओ ने 25 से 30 किलो आटा, 5 किलो देसी घी, 8 लीटर तेल, 20 किलो गुड़ से गांयो के लिए मिश्रण तैयार कर रोटियाँ बनाई गई । महिलाओ द्वारा तैयार रोटियों को सागवाड़ा में विभिन्न गौशालाओ भेजा गया ।
आपको बता दे कि सागवाड़ा में मकर सक्रांति के एक दिन पूर्व महिलाओ द्वारा गोग्रास का आयोजन की परंपरा पिछले 50 वर्ष से अधिक समय से निभाई जा रही है। सागवाड़ा में सबसे पहले गोग्रास का आयोजन धुलजी भगतजी दर्जी द्वारा प्रारंभ किया गया था जिसने परम्परा का रूप ली लिया। वर्तमान में इस परंपरा को दर्जी समाज की महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी मिलकर रोटियाँ बनाते है और आसपास की गौशालाओ तक पशुओं तक गो ग्रास की रोटी पहुंचाई जाती है।
इस अवसर पर भगूभाई दर्जी, भरत पवार, रतिलाल पंचाल, भोगीलाल दर्जी, कमलेश, चंद्रकांत, ओम प्रकाश दर्जी, जुगल पवार, प्रियंक भासरिया, विष्णु भासरिया, विजय पंचाल, नीरज पंचाल, शिवांग पंवार, दुर्गादेवी पंवार, नीमा दर्जी, कृष्णा पंवार, कृष्णा दर्जी, माया पवार, उर्मिला दर्जी, सूर्यकांता दर्जी, परेशा दर्जी, कमलादेवी भावसार, निर्मलादेवी भावसार, लतादेवी भावसार, जितेंद्र जैन, खुशबू पंचाल, रमिला दर्जी , कचरीदेवी दर्जी, कांतादेवी दर्जी, प्रथम दर्जी, कानू दर्जी, जयू दर्जी, प्रियांशी दर्जी,समर्थ दर्जी, काव्य दर्जी, प्रियांश जैन सहित समाजजनों व श्री श्री उत्तम गोपाल कृष्ण गौशाला एवं सन्मति गौशाला मैं भी गौ रक्षकों ने उत्साह पूर्वक सहभागिता निभाई।
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