आदिवासी बहुल बांसवाड़ा-डूंगरपुर क्षेत्र में सरकारी विभागों की बदहाली और खाली पड़े पदों को लेकर सांसद राजकुमार रोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर नाराज़गी जाहिर की है।
सांसद रोत ने सरकार पर आदिवासी क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां प्रशासनिक तंत्र लगभग ठप पड़ा है, जिससे आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
– सांसद राजकुमार रोत ने बताया कि डूंगरपुर जिले के 8 उपखंडों में से छह में SDM नहीं हैं, जिससे लोगों के काम अटक रहे हैं।
– जल संसाधन विभाग के 5 XEN में से 3 खाली है फिर आम जनता की पानी की समस्या कैसे सुलझेगी ? और इसमें साथ ही AEN के 7 पद रिक्त है।
– जिले में सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक SE का पद वो ख़ाली और 4 XEN के पद है वो भी चारों खाली पड़े हुए हैं। इस स्थिति में पूरा विभाग ख़ाली पड़ा है,
– PHED विभाग में 14 JEN के पद खाली पड़े हैं। इस तरह डूँगरपुर जिले के कई विभागों में अधिकारियों के पद खाली पड़े हैं।
– जिले के 11 सरकारी कॉलेजों में 356 में से 280 पद खाली हैं, जिससे उच्च शिक्षा का स्तर बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
सांसद ने पुलिस प्रशासन में भी भेदभावपूर्ण रवैये की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि डूंगरपुर जिले के 17 थानों में से केवल 2 ही थानों में ST वर्ग के अधिकारी नियुक्त हैं, जबकि 30 पुलिस चौकियों में महज 3-4 चौकी प्रभारी ही आदिवासी वर्ग से आते हैं। इसके विपरीत, राज्य सरकार टैक्स वसूली और खनन विभाग में तो पूरी ताकत झोंक देती है, लेकिन आम जनता के जरूरी विभागों को खाली छोड़ रखा है।
सांसद रोत ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार को बस आदिवासी क्षेत्र से टैक्स वसूलने की चिंता है, लेकिन यहां के विकास की कोई परवाह नहीं और शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक सेवाओं में घोर लापरवाही बरती जा रही है। सांसद राजकुमार रोत ने मुख्यमंत्री से तत्काल सभी रिक्त पदों को भरने और प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की।
क्या सरकार आदिवासी क्षेत्र की अनदेखी जारी रखेगी, या अब जागेगी? यह सवाल अब जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
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