आसपुर विधायक उमेश डामोर ने विधानसभा में आदिवासी क्षेत्रों के साथ हो रहे भेदभाव पर गहरी चिंता जताई और सरकार से न्याय की मांग की

डूंगरपुर। राजस्थान विधानसभा के सत्र में आसपुर विधायक उमेश डामोर ने आदिवासी क्षेत्रों के साथ हो रहे भेदभाव के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने सदन में पुलिस और कारागार व्यवस्था पर अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करने के लिए आम जनता के विश्वास को बढ़ाना होगा और भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा।

विधायक उमेश डामोर ने सदन में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस का ध्येय वाक्य ’’अपराधियों में भय, आमजन में विश्वास’’ सिर्फ नाम मात्र रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासी क्षेत्रों में पुलिस नाकाबंदी के नाम पर अवैध वसूली कर रही है, जिससे गरीब मजदूरों को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा, ’’हम चाहते हैं कि लोग हेलमेट पहनें, लाइसेंस रखें और सीट बेल्ट का उपयोग करें, लेकिन पुलिस द्वारा गरीब मजदूरों को केवल चालान काटने के लिए परेशान करना न्याय नहीं अन्याय है।

डामोर ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि संगीन अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करना सही है, लेकिन निर्दाेष आदिवासियों को थाने लाकर 24 घंटे से अधिक समय तक बैठाए रखना गलत है। उन्होंने सरकार से मांग की कि ऐसी घटनाओं की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।

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उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन मिलकर आदिवासी समाज के बढ़ते जनाधार को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आदिवासी समाज किसी भी अन्याय को सहन नहीं करेगा और आने वाले पंचायतीराज चुनावों में इसका जवाब देगा।

विधायक उमेश डामोर ने पुलिस कर्मियों के वेतनमान में सुधार की मांग करते हुए कहा कि वर्तमान में कॉन्स्टेबल का पे-ग्रेड 2400 है, जिसे बढ़ाकर 3600 किया जाना चाहिए। साथ ही अन्य विभागों की तरह पुलिस विभाग में भी डीपीसी के माध्यम से प्रमोशन की व्यवस्था होनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि टीएसपी (अनुसूचित क्षेत्र) में पुलिस विभाग में उच्च अधिकारी आदिवासी समाज से होने चाहिए, ताकि आम जनता और प्रशासन के बीच संवाद की खाई को पाटा जा सके।

महुआ मद से जुड़ी परंपरा को बनाए रखने की अपीलःः-
विधायक डामोर ने आदिवासी समाज की परंपरा का हवाला देते हुए महुआ मद पर लगे प्रतिबंधों में छूट देने की मांग की। उन्होंने कहा कि महुआ मद आदिवासियों के लिए केवल एक पेय पदार्थ नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पहली धार की 9 बोतलों की छूट दी जाए, क्योंकि यह आदिवासी समाज में औषधीय उपयोग के लिए आवश्यक है।

एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग
विधायक डामोर ने 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान एस.सी/एस.टी वर्ग के लोगों पर दर्ज मामलों को वापस लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुछ मामले तो वापस ले लिए गए हैं, लेकिन कई मामले अभी लंबित हैं, विशेष रूप से आसपुर थाने में। उन्होंने सरकार से इन्हें शीघ्र वापस लेने की मांग की।

कारागार में सुधार और कैदियों के अधिकारों पर जोर-
कारागार व्यवस्था पर बात करते हुए विधायक डामोर ने कहा कि कैदियों को बुनियादी सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से बीमार कैदियों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की।

उन्होंने कहा कि जेलों में कैदियों के पुनर्वास के लिए हस्तकला और अन्य कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए, ताकि वे मुख्यधारा से जुड़ सकें। इसके अलावा, जेलों में 24 घंटे हेल्प डेस्क की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिससे कैदियों को कानूनी और स्वास्थ्य संबंधी सहायता मिल सके।

परंपरागत न्याय व्यवस्था को मजबूत करने की मांग
विधायक डामोर ने आदिवासी समाज की परंपरागत न्याय व्यवस्था को सशक्त करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में वर्षों से पालवी और गमेती परंपरा के माध्यम से सुलह-समझौते किए जाते रहे हैं, जिससे सस्ता और त्वरित न्याय मिलता है। उन्होंने सरकार से इस न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और शक्तिशाली बनाने की अपील की।

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