जयपुर। राजस्थान सरकार की ओर से संविदा आधार पर की जा रही महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की नियुक्ति को हाईकोर्ट से झटका लगा है। पूरे प्रदेश में 50 हजार पदों पर यह भर्ती 1 साल के लिए की जा रही थी।
राजस्थान हाईकोर्ट ने सेवा प्रेरकों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए सरकार के शांति एवं अहिंसा विभाग को नोटिस जारी किया है। हालांकि सरकार भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है, लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं दिए जा सकेंगे। इस मामले को लेकर मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई थी। बुधवार को आदेश जारी किए गए।
अभ्यर्थी ने दायर की थी याचिका, दावा- एक्सपीरियंस की अनदेखी की गई
जज अरुण भंसाली की एकल पीठ में लच्छीराम और अन्य ने एक याचिका दायर की। एडवोकेट पीआर मेहता के जरिए दायर याचिका में कहा गया कि इसमें ऐसे अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दिए जाने का प्रावधान रखा है, जिनको राज्य सरकार की ओर से आयोजित महात्मा गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का अनुभव है। यह शिविर सिर्फ एक दिन का था।
ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया में किसी विधान का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इसकी विज्ञप्ति और इस संबंध में जारी दिशा निर्देशों में प्रेरकों की कार्य की शर्तों और कार्य की दशाओं का उल्लेख तक नहीं है। चयन के लिए योग्यता संबंधी वरीयता तय करने जैसे प्रावधान भी नहीं बताए गए हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बड़ी संख्या में एक वर्ष के लिए अस्थायी नियुक्तियों के आवेदन आमंत्रित किए हैं, जो नियुक्ति के विधिक प्रावधानों का उल्लंघन है और जनता के धन का दुरुपयोग करना भी है। याचिकाकर्ता ने इसमें कहा है कि कई वर्षों तक प्रेरक के रूप में कार्य करने का अनुभव है, लेकिन उनके अनुभव की अनदेखी की गई है।
प्रक्रिया जारी रह सकती है, नियुक्ति नहीं
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने फिलहाल विभाग को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। तब तक इस भर्ती में किसी भी प्रकार की नियुक्ति देने पर रोक लगाई है। हालांकि तब तक सरकार इसकी भर्ती प्रक्रिया को जारी रख सकती है।
ऐसे होनी है भर्ती
शांति एवं अहिंसा विभाग ने महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती एक साल के लिए अस्थायी तौर पर करने की प्रक्रिया शुरू की थी। 31 अगस्त तक इसके लिए आवेदन दिए गए थे। इसमें न्यूनतम योग्यता 12वीं पास रखी गई थी। 12 सितंबर से अलग-अलग शहर और गांव में इसके लिए इंटरव्यू भी शुरू हो गए हैं।
इसमें चयनित होने वाले सेवा प्रेरकों को 4500 रुपए प्रति महीना मानदेय मिलेगा। राजस्थान सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाना और पुस्तकालय व अन्य साहित्य गतिविधियां करना सेवा प्रेरकों का प्रमुख काम रखा गया है।