हर शुभ कार्य की शुरुआत यहां से स्वीकृति लेकर होती है
सागवाड़ा। वागड़ क्षेत्र के भीलूडा गांव में स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर न सिर्फ अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां विराजमान लगभग 1000 वर्ष पुरानी श्री भैरव क्षेत्रपाल की दिव्य प्रतिमा भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। जनमानस की मान्यता है कि मंदिर के अधिष्ठात्री देव श्री भैरव क्षेत्रपालजी हर श्रद्धालु की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
यही कारण है कि लोग अपने प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत यहां दर्शन कर करते हैं। वहीं भक्त किसी भी संकट में आते हैं तो इस दरबार में अपनी अर्जी लेकर आते है ओर उनका हर कार्य पूर्ण होता है।
प्रत्येक वर्ष पर्युषण पर्व पर यहां धार्मिक उत्सव का विशेष महत्व रहता कर इस मौके पर भैरव क्षेत्रपाल जी का चांदी की अंगी से अलौकिक श्रृंगार किया जाता है, जो दर्शनीय और मनमोहक होता है। इस श्रृंगार के दर्शन के लिए न केवल स्थानीय श्रद्धालु बल्कि अन्य गांवों के श्रद्धालु यहां आते है ।
श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर की यह प्राचीन धरोहर आज भी आस्था, विश्वास और अध्यात्म का प्रतीक बनी हुई है। मंदिर में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों से भक्तों को आत्मिक शांति और सुख की अनुभूति होती है। मान्यता है कि लोगों की मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त यहां पांच नारियल का तोरण ओर पांच गुरुवार दर्शन कर नींबू चढ़ाते है। वही सरसों के तेल का दीपक जलाते है। प्रसाद के रूप में जलेबी और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
भिलुड़ा का यह दिगम्बर जैन मंदिर और यहां का भैरव क्षेत्रपाल श्रृंगार, क्षेत्र की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है। पर्यूषण पर्व के दौरान इस पवित्र स्थल की आभा देखते ही बनती है और यह स्थान जैन समाज के साथ-साथ समूचे वागड़ अंचल के लिए गौरव का केंद्र है।