वागड़ में कांग्रेस भाजपा का भाईचारा, तीसरा दल हुआ मज़बूत
सागवाडा। आपसी भाईचारा यह शब्द आपने सुना ही होगा। ऐसे ही कुछ शब्द वागड की राजनीति में भी अब आम हो गये हैं। यहाँ दोनों बड़े राजनीतिक दलों का आपसी भाईचारा इतना है कि बड़े से बड़े मुद्दें पर भी बोलने से नेता परहेज़ करते हैं। इसी आपसी भाईचारा के चलते वागड़ में तीसरा दल मज़बूत हो कर उभरा।
राजस्थान में पेपर लीक प्रकरण की बात करे तो भाजपा नेताओं की चुप्पी समझ से परे थी। पेपर लीक के तार डूंगरपुर से RPSC मेंबर से जुड़े होने के बाद भी डूंगरपुर का कोई नेता इस बारे में बोलने से बचता नजर आया। जबकि यह मामला बेरोज़गारी और बेरोज़गार युवाओं के सपनों से जुड़ा हुआ था। भजापा के नेता चाहते तो इसपर वागड में बडा आंदोलन कर सकते थे, बेरोज़गारों की आवाज बन सकते थे लेकिन राजनीति भाईचारे की वजह से भाजपा के नेता आंदोलन तो दूर एक शब्द भी नही बोले। जबकि इस मामले की गंभीरता को समझते हुई ED तक छापा मार चुकी हैं।
उधर, भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा दंबंगता से इस मुद्दे को उठा रहे लेकिन वागड़ के भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को इतनी गंभीरता से नही लिया। वही सागवाडा में कडाणा की ज़मीन के मामले में राजस्व विभाग के फ़र्ज़ी पत्र के मामले को भी उस ठंग से नहीं उठाया गया जैसा मामला बनना चाहिये था जबकि इस मामले में 1 करोड़ 40 लाख रूपये की लेनदेन की बात सामने आई है। 30 करोड़ की ज़मीन को हड़पने का जो षड्यंत्र रचा गया उलके खुलासे और उच्च स्तरीय जाँच को लेकर कोई दबाव नहीं बना गया। ये भाईचारा न सिर्फ़ भाजपा ने निभाया है ऐसा नही है कांग्रेस भी इस मामले में आगे है।
भाजपा नेताओं पर फ़र्ज़ी तरीके से पट्टें लेने का आरोप लगा कर जाँच नहीं की जा रही। बक़ायदा प्रेस वार्ता कर गंभीर आरोप लगाये गये थे लेकिन अब वे आरोप उसी रजिस्टर में दफ़न हो गये हैं जो प्रेस वार्ता में दिखाया गया था। इतना ही नही कमल कांग्रेस के दम पर बनी ज़िला परिषद पर भी कई बार गंभीर आरोप लगे। कांग्रेस के ज़िला परिषद सदस्यों ने आरोप लगाये लेकिन यहाँ भी भाईचारा दिखाया गया। इधर, अवैध खनन और अन्य कई मुद्दों पर विपक्ष के बड़े नेताओं की चुप्पी भाईचारा ओर बढा रही हैं। इधर, तीसरे दल के लिये भी रास्ता इतना साफ नहीं है। पांच साल तक सरकार के साथ क़दमताल करके चलने की वजह से उनका वोटर जवाब मांग रहा है।