सागवाड़ा। शहर में अब लव कुश वाटिका बनेगी। ईको ट्यूरिज्म के रूप में यहां पर आसपुर रोड पर स्थित मसानिया तालाब के पीछे शिवपुरी घाटा माविता वन क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। 2 करोड़ रुपए इस पर खर्च होंगे। सरकार द्वारा अभी 40 लाख वाटिका के विकास के लिए आ गए है।
Sagwara News : राज्य सरकार ने बजट में हर जिले में 2 लवकुश वाटिका निर्माण की घोषणा की थी। जिसमे डुंगरपुर जिले में रतनपुर ओर सागवाडा में शिवपुरी घाटा माविता वन क्षेत्र का चयन किया गया है। वन विभाग के क्षेत्रीय वन अधिकारी योगेश पुरोहित ने बताया की शहर के आसपुर रोड पर स्थित मसानिया तालाब के पीछे शिवपुरी घाटा माविता वन क्षेत्र को इसके लिए चुना है। 30 हैक्टेयर में इस लव कुश वाटिका को तैयार किया जाएगा। योजना के अनुसार प्रथम व द्वितीय चरण में काम पूरा होगा। प्रथम चरण का काम शुरू हो गया है।
इसमें फैंसिंग, पक्की दीवार, चैनलिंक, वॉच टॉवर सहित अन्य तरह के कई कार्य हो सकेंगे। यहां ऐसे पेड़ लगवाए जाएंगे, जहां पर पक्षी घोंसला बनाते हैं। वन विभाग का मानना है कि प्रवासी पक्षी भी यहां आते हैं, लेकिन कुछ समय बाद यह फिर अपने देशों की ओर चले जाते हैं। यहां इनके घोंसले बनाने के लिए वातावरण तैयार किया जाएगा ताकि यह पक्षी लंबे समय तक यहां अपना ठहराव बना सकें। सर्दियों के समय यहां प्रवासी पक्षी बड़ी तादाद में आते हैं।
लव कुश वाटिका शहर वासियों के साथ ही पर्यटकों को भी प्रकृति से रूबरू करवाएगी। राज्य सरकार ने इस लव कुश वाटिका के निर्माण के लिए एक बड़ा बजट प्रस्तावित किया है। इस वाटिका में जगह-जगह कई चारदीवारी, व्यूप्वाइंट, झोपड़ियां, पौधों का वनीकरण, ट्यूबवेल पाइप लाइन बिछाना आदि सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है। जिनमें बारिश के मौसम में भी लोग यहां पर आ सकेंगे। इसके अलावा पहाड़ियों पर जागरुकता केंद्र, आराम गृह, प्रवेश द्वार और गार्ड रूम बनाए जाएंगे। जल्दी यहां शहर के लोगो की चहल पहल देखने को मिलेगी।
पहाड़ियाें में बनेंगे भ्रमण पथ
लव कुश वाटिका में पहाड़ियों में ढाई किमी का भ्रमण पथ बनाया जाएगा। पथ के दोनों तरफ नीम, अर्जुन, बड़, पीपल, गूलर, चिरमी, बांस के पौधे लगाए जाएंगे ताकि लोगों को पैदल चलने के दौरान भी पर्याप्त आक्सीजन मिल सके। लोग हरियाली के प्रति आकर्षित हों।
वाटिका में वेटलैंड और ग्रासलैंड दोनों ही होंगे विकसित
लव कुश वाटिका की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यहां वेटलैंड और ग्रासलैंड दोनों ही विकसित होंगे। वेटलैंड एरिया में पक्षियों कें संरक्षण के कार्य होंगे। यानी यहां हर प्रकार के पक्षियों की प्रजातियों के लिए सुरक्षित वातावरण रहेगा। उनको यहां संरक्षण के साथ ही पक्षियों के प्रजनन का भी एरिया विकसित होगा। इसी क्षेत्र में ग्रास लैंड विकसित हाेंगे। इन ग्रासलैंड में खरगोश सहित घांस खाने वाले वन्यजीवों का आश्रय स्थल रहेगा। पूरी तरह से यह क्षेत्र इको ट्यूरिज्म के रूप में विकसित होगा। यहां पक्षियों और वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने से लेकर उनके भोजन की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी।