Delhi Police: दिल्ली पुलिस में तैनात दो महिला कांस्टेबलों पर पूरे विभाग को गर्व है. दोनों ही महिलाएं इन महिला कांस्टेबलों का नाम सीमा और सुमन है. दोनों ने कांस्टेबलों ने मिलकर 9 माह में दिल्ली से गायबर 104 बच्चों को खोज निकाला और उनके माता-पिता को उन्हें सौंप दिया।
दिल्ली: खोए हुए बच्चे जिनके मिलने की उम्मीद पूरी तरह से माता-पिता खत्म कर चुके थे. उन बच्चों को ढूंढ कर उनके माता पिता को लौटने वाली दिल्ली पुलिस की 2 धाकड़ महिला हेड कांस्टेबल की इन दिनों चारों तरफ जमकर तारीफ हो रही है. इन महिला कांस्टेबलों का नाम सीमा और सुमन है. दोनों ने मिलकर पिछले 9 महीने के दौरान 104 बच्चों को खोज निकाला और उनके माता-पिता को उन्हें सौंप दिया।
जानें दोनों कांस्टेबलों की खासियत
दोनों महिला कांस्टेबल की खासियत यह है कि दोनों ने रात के 1 से 3 बजे के बीच जब महिलाएं घरों से निकलने से डरती हैं. उस समय भी बच्चों की लोकेशन ट्रेस होते ही स्पॉट पर पहुंचकर बच्चों को ढूंढा और उन्हें उनके माता-पिता तक पहुंचा दिया. दोनों ही महिला कांस्टेबल दिल्ली के रोहिणी स्थित समयपुर बादली थाने में तैनात हैं. दोनों पर ही पूरे पुलिस विभाग को गर्व है. सीमा और सुमन कहती हैं कि माता-पिता पहले अपने बच्चों के दोस्त बनें. बाद में माता-पिता होने की भूमिका निभाएं।
रात 1 बजे भी करती हैं ड्यूटी
हेड कांस्टेबल सीमा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट में वह तैनात हैं. इसका काम है, जो बच्चे खो गए हैं. उन्हें ढूंढना और उन्हें उनके माता-पिता तक सही सलामत पहुंचाना है. इसमें सबसे पहले उनकी टीम और वह खुद भी अलग-अलग थानों से एफआईआर कलेक्ट करती हैं. इसके बाद बच्चों की लोकेशन ट्रेस करने के लिए माता-पिता से फोटो ली जाती है और साइबर सेल की मदद ली जाती है।
हेड कांस्टेबल सीमा ने बताया कि बच्चे की लोकेशन जैसे ही ट्रेस होती है. वैसे ही उस लोकेशन पर पहुंचकर बच्चों का पता लगाया जाता है. जहां मिलने पर उसे सभी औपचारिकताएं पूरी करके माता-पिता को सौंप दिया जाता है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी तो रात के एक बजे किसी बच्चे की लोकेशन ट्रेस होती है, तो वह तुरंत अपने घर हरियाणा से निकलकर दूसरी कांस्टेबल सुमन को लेकर घटना स्थल पर पहुंचती हैं और बच्चे को सपने सुपुर्द ले लेती हैं।
बच्चा पूछता है मां कब घर आएंगी
हेड कांस्टेबल सीमा ने बताया कि वह हरियाणा के सोनीपत के एक गांव की रहने वाली हैं. साल 2006 में पुलिस में भर्ती हुई थीं. पिता भी हेड कांस्टेबल ही थे, लेकिन उनकी मृत्यु हो चुकी है. अब उनके दो बच्चे हैं. कभी-कभी ड्यूटी इतनी ज्यादा घंटे की हो जाती है कि उनके बच्चे घर वालों से यह पूछते-पूछते सो जाते हैं कि मां कब घर आएंगी।
वहीं, कांस्टेबल सुमन ने बताया कि वह हरियाणा के रोहतक की रहने वाली हैं. साल 2010 में इनकी भर्ती हुई थी. 3 और बहनें भी उनकी पुलिस में ही हैं. उनके भी दो बच्चे हैं. इसीलिए सीमा और सुमन दोनों मां होने के नाते बच्चों और उनके माता-पिता का दर्द समझ सकती हैं. मन में ममता होती है. इसीलिए बच्चों को खोजने में पूरी जान लगा देती हैं।
धाकड़ हैं दोनों महिला कांस्टेबल
इंस्पेक्टर प्रमोद तोमर ने बताया कि वह सुमन और सीमा की हमेशा ही तारीफ करते हैं. दोनों महिला कांस्टेबल बेहद धाकड़ हैं. ड्यूटी के लिए कभी मना नहीं करती हैं. रात एक बजे जैसे ही बच्चों की लोकेशन ट्रेस होती है. दोनों तुरंत गाड़ी लेती हैं और घर से निकल जाती हैं. यही वजह है कि पिछले 9 महीने के दौरान उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों के बच्चे इन्होंने खोज निकाले हैं और उनको घर पहुंचा दिया है. पूरे पुलिस विभाग को इन पर गर्व है।