Demonetisation in India: 2016 में हुई नोटबंदी कोई पहली बार नहीं हुई थी, भारत में इससे पहले भी 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोट को डीमोनेटाइज़ किया जा चुका है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है. आइए आपको बताते हैं दिलचस्प बातें.
Demonetisation: नोटबंदी को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है और सरकार के इस कदम को सही ठहराया है. इसके बाद से नोटबंदी (Demonetisation in India) का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. बता दें 8 नवंबर साल 2016 को केंद्र सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था. उस दिन रात 8 बजे देश की जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था और रात 12 बजे के बाद 500 और 1000 रुपए को चलन से बाहर कर दिया था.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि नोटबंदी का ये पहला मौका नहीं था. भारत में इससे पहले भी 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोट को डीमोनेटाइज़ किया जा चुका है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. आइए आपको बताते हैं रिजर्व बैंक से जुड़ी तमाम दिलचस्प बातें.
दो बार चलन से बाहर हुआ 10,000 का नोट
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने पहली बार 10,000 रुपए का नोट साल 1938 में मुद्रित किया था. ये नोट आरबीआई द्वारा मुद्रित अब तक का सबसे बड़ा नोट था. लेकिन जनवरी 1946 में इसे डीमोनेटाइज़ कर दिया गया. इसके बाद साल 1954 में एक बार फिर से 10,000 रुपए का नोट सामने आया. लेकिन 1978 में इन्हें फिर से डीमोनेटाइज़ कर दिया गया था.
कौन-कौन से नोट हो चुके हैं चलन से बाहर
आरबीआई की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के हिसाब से जनवरी 1946 में सबसे पहले 500, 1000 और 10000 के बैंक नोट चलन से बाहर किए गए. 1954 में शुरू हुए 1000, 5000 और 10,000 के बैंकनोट जनवरी 1978 में फिर से बंद कर दिए गए. महात्मा गांधी शृंखला के तहत जारी किए गए 500 और 1000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से वैध मुद्रा नहीं रहे.
कितने रुपए तक के नोट जारी कर सकती है आरबीआई
वर्तमान में भारत में 10, 20, 50, 100 200, 500, तथा 2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट आरबीआई जारी करता है. आरबीआई चाहे तो 5000 और 10,000 रुपए के नोट भी फिर से जारी कर सकता है. आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 24 के अनुसार आरबीआई को 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000, 5000, 10000 या इस प्रकार का अन्य मूल्यवर्ग, जो दस हजार से अधिक नहीं हो, को छापने का अधिकार प्राप्त है. आरबीआई एक रुपए या नोट को नहीं छाप सकता क्योंकि कॉइनेज एक्ट के तहत ये अधिकार भारत सरकार को दिया गया है. इस पर आरबीआई के गर्वनर की जगह वित्त सचिव के सिग्नेचर होते हैं.
किस चीज से बनता है नोट
जिस नोट का इस्तेमाल आप करते हैं, क्या आपको पता है कि वो नोट किस चीज से बनता है? बैंकनोट मुद्रित करने के लिए वर्तमान में प्रयोग में लाया जाने वाला कागज 100% रूई (कॉटन) का उपयोग करके बनाया जाता है. इस नोट के बीच में हिंदी और पीछे की ओर अंग्रेजी में लिखाई की जाती है. इसके अलावा बैंकनोट के भाषा पैनल में पंद्रह भाषाएं दिखाई देती हैं.
क्यों लिखा जाता है ‘ मैं धारक को…वचन देता हूं’
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 के अनुसार बैंकनोट के मूल्य का भुगतान करने हेतु बैंक उत्तरदायी है. मैं धारक को…अदा करने का वचन देता हूं’, वाक्य बैंक की ओर से बैंकनोट धारक के प्रति देयता को दर्शाता है.
एक ही नंबर के दो नोट हो सकते हैं?
कई बार मन में ये सवाल भी उठता है कि क्या दो या अधिक बैंकनोटों के नंबर्स में समानता हो सकती है. तो इसका जवाब है हां. आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक दो या इससे अधिक बैंकनोट के सरल क्रमांक समान हो सकते हैं, लेकिन या तो वे अलग इनसेट लेटर या अलग मुद्रण वर्ष या भारतीय रिज़र्व बैंक के अलग गवर्नर के हस्ताक्षर वाले होंगे. इनसेट लेटर एक अक्षर होता है जो बैंकनोट के संख्या पैनल पर मुद्रित होता है. नोट बिना किसी इनसेट लेटर के भी हो सकते हैं.