सागवाड़ा। पितृपक्ष पखवाड़ा भादों की पूर्णिमा यानी 29 सितंबर से शुरू होगा। इस दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण, दान-पुण्य किया जाएगा। पखवाड़े में विशेष शुभ संयोग रहेंगे। पितृपक्ष में किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने से श्राद्धकर्म किए जा सकेंगे। पितृपक्ष पखवाड़े की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा 29 सितम्बर से होगी।
14 अक्टूबर को सर्वपितृमोक्ष अमावस्या मनाई जाएगी। पितृपक्ष पखवाड़े में घरों के अलावा तीर्थराज पुष्कर, त्रिवेणी संगम और अन्य धार्मिक स्थानों पर श्राद्ध कर्म, तर्पण किया जाएगा। इसी प्रकार सर्वपितृमोक्ष अमावस्या पर जिन पूर्वजों की तिथि ज्ञात नहीं है उनके लिए भी श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। पंडित अशोक व्यास के अनुसार पितृपक्ष में कोई शुभ कार्य अथवा खरीदारी नहीं करने की केवल भ्रांति ही है। पितृपक्ष में भी किसी प्रकार के शुभ कार्यों या खरीदारी आदि पर कोई विराम नहीं होता। इस पक्ष में खरीदारी करने से धन सम्पदा से जीवन आगे बढ़ता है और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। इसमें सभी प्रकार की खरीदारी की जा सकती है।
पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का महत्व: ज्योतिष एवं कर्मकांड के जानकारों ने बताया कि पितृपक्ष पखवाड़े में पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म आदि करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जिस पूर्वज की मृत्यु जिस तिथि पर हुई है, उस तिथि पर तर्पण, श्राद्धकर्म, गौ ग्रास, गरीबों को भोजन कराना चाहिए। अगर किसी की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन श्राद्धकर्म किया जा सकता है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध तिथियां
29 सितंबर: पूर्णिमा श्राद्ध व प्रतिपदा
30 सितंबर: द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर: तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर: चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर: पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर: षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर: सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर: अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर: नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर: दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर: एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर: द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर: त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर: चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर: सर्वपितृ अमावस्या।
इसके बाद नवरात्रि शुरू होगी।