गलियाकोट दरगाह : सैयदी फखरुद्दीन शहीद का उर्स, जो गलियाकोट में आयोजित किया जाता है, इस साल 2 अगस्त को मनाया जायेगा। जो हर साल मोहर्रम की 27 तारीख को आता है इस महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन में दुनियाभर से दाऊदी बोहरा समुदाय के हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
उर्स के दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें फखरुद्दीन शहीद की शिक्षाओं और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
उर्स का मुख्य उद्देश्य सैयदी फखरुद्दीन शहीद के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनकी शिक्षाओं को याद करना है। यह आयोजन लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है और समुदाय में भाईचारे और एकता को बढ़ावा देता है
गलियाकोट दरगाह, जिसे सैयदी फखरुद्दीन शहीद दरगाह के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के डूंगरपुर जिले के गलियाकोट गांव में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह दरगाह 11वीं शताब्दी के प्रसिद्ध इस्माइली सूफी संत, सैयदना फखरुद्दीन शहीद की याद में बनाई गई है।
सैयदी फखरुद्दीन शहीद का जीवन
सैयदना फखरुद्दीन शहीद, दाऊदी बोहरा समुदाय के है और वह एक महान विद्वान और संत थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में इस्लाम और इस्माइली सूफी मत का प्रचार किया। लेकिन उन्होंने अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा के दौरान भारत का दौरा किया और अंततः गलियाकोट में बस गए।
जो दरगाह पीर फखरुद्दीन के नाम से जाना जाता है। जोसको दरगाह परिसर को (मजार ए फाखरी) Mazar-e-Fakhri, Galiyakot के नाम से है।
शहादत और दरगाह का निर्माण
फखरुद्दीन शहीद की शहादत 11वीं शताब्दी में हुई थी। उनके निधन के बाद, उनके अनुयायियों ने उनकी कब्र पर एक दरगाह का निर्माण किया। यह दरगाह समय के साथ एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गई, जहाँ देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं।
वास्तुकला और विशेषताएँ
गलियाकोट दरगाह की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक और सुंदर है। दरगाह की इमारत में उत्कृष्ट नक्काशी और पारंपरिक शैली का मेल देखा जा सकता है। दरगाह परिसर में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए स्थान भी मौजूद हैं।
उर्स का आयोजन 27 मोहर्रम को
हर साल सैयदी फखरुद्दीन शहीद की याद में उर्स का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। उर्स के दौरान दरगाह को विशेष रूप से सजाया जाता है और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
गलियाकोट दरगाह न केवल दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। यह दरगाह सद्भाव, प्रेम और एकता का प्रतीक है, जहाँ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के लोग एक साथ आते हैं और फखरुद्दीन शहीद की शिक्षाओं और आदर्शों से प्रेरणा लेते हैं।
गलियाकोट सैयदी फखरुद्दीन शहीद दरगाह, एकता, प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी समस्याओं का समाधान और मानसिक शांति प्राप्त करते हैं। दरगाह की पवित्रता और धार्मिक महत्ता आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है और यह स्थान सभी के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।