सागवाड़ा। राजकीय उपजिला चिकित्सालय में आंखों की झिल्ली हटाने की मशीन नहीं होने के कारण इस छोटी सी समस्या के लिए रोगी प्राइवेट अस्पताल में जाने को मजबूर हैं। इसकी वजह से रोगियों को प्राइवेट अस्पतालो में झिल्ली हटाने के लिए पंद्रह सौ से दो हजार रुपए शुल्क देने पड़ रहा है।
दरअसल झिल्ली हटाने की मशीन को याग लेजर कहा जाता है। याग लेजक मशीन का उपयोग मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद दृष्टि समस्याओं के लिए किया जाता है। यह पोस्टीरियर कैप्सुलोटॉमी नामक प्रक्रिया के लिए प्रयोग की जाती है, जिसमें मोतियाबिंद सर्जरी के बाद लेंस के पीछे बने पतले झिल्ली को साफ किया जाता है, जिससे दृष्टि में सुधार होता है।
इसके अलावा याग लेजर का उपयोग ग्लूकोमा में भी किया जाता है, जिसमें लेजर का उपयोग करके आईरिस में छेद करके आंखों में दबाव कम किया जाता है। डॉ. निमेष जैन ने बताया कि नवंबर 2024 से अब तक सागवाड़ा उपजिला अस्पताल में आंखों के लगभग 60 ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए हैं।
दस में से तीन या चार के होती है समस्या
जानकारी के अनुसार मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद दस में तीन या चार जनों के झिल्ली आने की समस्या होना आम बात है। इससे दृष्टि धुंधली हो जाती है और चिकित्सक याग लेजर मशीन का उपयोग करके इस झिल्ली को साफ कर देते हैं, जिससे दृष्टि में सुधार हो जाता है।
बताया जा रहा है कि याग लेजर मशीन की कीमत करीब बीस लाख रुपए की है। उपजिला अस्पताल सागवाड़ा में प्रतिमाह रोगी झिल्ली हटाने के लिए चिकित्सकों के पास आते हैं और मशीन नहीं होने के कारण रोगियों को प्राइवेट अस्पतालों में जाने की सलाह दी जाती है।
इसमें भी चाहिए मशीन
ग्लूकोमा के कारण आंखों में दबाव बढ़ जाता है, जिससे दृष्टि हानि हो सकती है। याग लेजर के उपयोग से आईरिस में छेद कर आंखों में दबाव कम किया जाता है।