बांसवाड़ा के माही डेम से डूंगरपुर के सागवाड़ा तक पानी लाने का 18 साल पुराना सपना अब साकार होगा। 2005 में शुरू हुआ नहर का काम 15 साल में पूरा हुआ, लेकिन नहर से पानी नहीं आ सका। अब माही डेम का पानी 185 किलोमीटर दूर सागवाड़ा के लोडेश्वर तक लाने की पूरी तैयारी हो गई है। अभी नहर की सफाई का काम चल रहा है। बीच में आसपुर से सागवाड़ा के बीच 700 मीटर लंबी, 15 फीट ऊंची और 4 मीटर चौड़ी अंडर ग्राउंड टनल बनाई गई है।
डूंगरपुर जिले के 500 गांवों के लिए आखिरकार वह शुभ घड़ी आ ही गई, जिसका यहां के करीब 3.75 लाख लोगों को 18 साल से इंतजार था। माही बांध का पानी भीखा भाई नहर से सागवाड़ा बहुत जल्द पहुंचने वाला है। सागवाड़ा से पानी अभी केवल 15 किलोमीटर दूर है। यहां पानी आने के बाद लोडेश्वर बांध में ले जाया जाएगा। यह पानी लोगों को सिंचाई और पेयजल के लिए मिलेगा। यह नहर आसपुर रोड को क्रॉस कर योगिंद्रगिरि की तरफ से गोवाड़ी होते हुए नंदौड़ से लोडेश्वर बांध तक जाती है। आसपुर रोड को पार करने के लिए करीब 700 मीटर लंबी, 15 फीट ऊंची और 4 मीटर चौड़ी अंडर ग्राउंड टनल बनाई गई है।
सीमेंट-कंक्रीट से बनी टनल की जेसीबी और ट्रैक्टरों से जिला प्रशासन, जल संसाधन विभाग, नगरपालिका और माही नहर खंड नहर की टनल की सफाई करवा रहा है। अब माही का पानी 43 किलोमीटर तक आ चुका है। फिलहाल सागवाड़ा शहर समेत कई गांवों में 48 घंटे और 72 घंटों में एक बार पानी की आपूर्ति की जा रही है। यहां पानी आने के बाद डूंगरपुर जिले में साबला, सागवाड़ा, आसपुर, गलियाकोट और चिखली ब्लॉक के कई गांवों में सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
12 दिन पहले नहर टूटी, एमपी से 4 पाइप मंगवाकर जोड़ा
19 अप्रैल को काब्जा के साकरिया फला में नहर टूट गई थी। जिस पर सागवाड़ा विधायक शंकरलाल डेचा ने जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता और अतिरिक्त सचिव जयपुर भुवन भास्कर और अतिरिक्त मुख्य अभियंता संभाग बांसवाड़ा धीरज जोशी से बात की। विभाग के अधिकारियों ने मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए एमपी से 4 लोहे के पाइप मंगवाए गए। चारों पाइप को टूटी नहर के दोनों हिस्सों से जोड़ दिया गया। इसके बाद इस जगह से फिर से पानी की सप्लाई शुरू हो सकती है।
डूंगरपुर जिले में कुआं तक नहर 120 किमी लंबी
नहर की कुल लंबाई माही डेम से लेकर अंतिम छोर तक 185.84 किलोमीटर है। इसकी बांसवाड़ा जिले में लंबाई 65 किलोमीटर और डूंगरपुर जिले में लंबाई कुंआ तक 120.84 किलोमीटर है। बोरेश्वर निठाउवा से इस नहर की लंबाई डूंगरपुर जिले में कुआं तक 120.84 किलोमीटर है। बांसवाड़ा के माही डेम से यह पानी करीब 65 किलोमीटर का सफर तय करके डूंगरपुर जिले के बोरेश्वर में बने साइफन में आता है। यहां से करीब 70 किलोमीटर का सफर कर यह पानी सागवाड़ा पहुंचाया जाना है।
कब कहां तक पहुंचा था पानी
सिंचाई विभाग के मोहित पाटीदार बताते हैं कि 2018 में आरा तक पानी आया था। हालांकि इसके बाद पानी की सप्लाई नहर में नहीं हो पाई है। इससे नहर में घास फूस और झाड़ियां उग आने के साथ ही मिट्टी और कचरा जमा हो गया था। इसके बाद 19 अप्रैल 2024 को पानी सागवाड़ा नगरपालिका क्षेत्र में कचरा घाटी के पास पहुंच गया था। लेकिन काब्जा के साकरिया फला के पास नहर टूट जाने से पानी के प्रवाह को रोक दिया गया। नहर के टूटे हुए हिस्से को 25 अप्रैल तक दुरस्त कर दिया गया।
लागत 290 करोड़ और 22 करोड़ में मरम्मत हुई
वर्ष 2004 में माही बांध का पानी सागवाड़ा और कुआं तक पहुंचाने के लिए भीखा भाई नहर की घोषणा हुई थी। नहर का काम वर्ष 2005 में शुरू हुआ था। मुख्य नहर का काम वर्ष 2020-2021 में खत्म हुआ, लेकिन माइनर का काम अभी भी बाकी है। नहर कुल लागत 290 करोड़ रुपए थी। अब तक इसकी मरम्मत पर 22 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। कुल मिलाकर नहर की लागत 312 करोड़ रुपए हुई। अलग- अलग समय मे विभिन्न मदों से बजट मिला था।
अब नहर का ऐसे होगा फायदा
पानी सागवाड़ा आने के बाद पहले सागवाड़ा शहर और आसपास के 18 गांव की पेयजल सुविधा को सुचारू करने के लिए यहां के पेयजल के मुख्य स्रोत लोड़ेश्वर डैम में पानी पहुंचाया जाएगा। जिससे भीषण गर्मी में लोगों को पेयजल संकट से राहत मिलेगी। फिलहाल सागवाड़ा शहर समेत कई गांवों में 48 घंटे और 72 घण्टों में एक बार पानी की आपूर्ति की जा रही है। इसके बाद डूंगरपुर जिले में अंतिम छोर कुआं तक पानी पहुंचने पर डूंगरपुर जिले के 27 हजार हेक्टेयर कमांडिंग एरिया को भीखा भाई माही नहर के पानी का लाभ मिलेगा, जिससे कई किसानों को फसल की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा।
इस नहर के डूंगरपुर जिले में साबला, सागवाड़ा, आसपुर ब्लॉक का कुछ भाग, गलियाकोट का कुछ भाग और चिखली ब्लॉक के कुछ हिस्से में सिंचाई की सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी। भीखा भाई सागवाड़ा नहर खंड माही परियोजना का मुख्य लक्ष्य डूंगरपुर जिले में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने का है। इसमें पेयजल को लेकर कोई योजना नहीं है, लेकिन पेयजल के अभाव को देखते हुए मानवीय दृष्टिकोण से तालाब और अन्य जल स्रोतों में माही के पानी को डालकर पेयजल भी उपलब्ध होगा।
कंटेंट: अखिलेश पंड्या, Bhaskar सागवाड़ा