सागवाड़ा/साबला। सोम, माही और जाखम के संगम स्थल बेणेश्वर धाम पर माघ पूर्णिमा के उपलक्ष में जन सैलाब ही उमड़ पड़ा। बेणेश्वर धाम पर हर दिशा से भीड़ जुट रही थी। महिला-पुरुष से लेकर बच्चे सबके चेहरों पर श्रद्धा व भक्ति के भाव थे। देखते-देखते बेणेश्वर के घाट व रास्ते भर गए। पांव धरने की जगह नहीं थी। वैसे यह क्रम पिछले दिनों मेला शुरू हुआ तब से चल रहा था।
रविवार को मुख्य मेला था, तो हजारों भक्त शामिल हुए। श्रद्धा के इस सैलाब में राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र से लेकर कई राज्यों के लोग थे। श्रद्धा, भक्ति व आस्था के महासंगम के बीच जयकारों की गूंज आसमां तक गूंज रही थी। सवेरे शाही पालकियों की पदयात्रा, तो बाद में साबला हरि मंदिर के महंत अच्युतानंद महाराज ने माही गंगा में शाही स्नान किया।
इससे पूर्व माही गंगा के घाट पर पण्डितो के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच माही गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर लाल चुंदरी के साथ पंच श्रीफल भेंट किए। श्रीफल को लेकर मावभक्तों में होड़ रही। शाही स्नान के बाद भगवान निष्कलंक की पूजा अर्चना की। ततपश्चात धाम पर हरिमंदिर पहुंचकर भगवान राधकृष्ण की पूजा अर्चना कर भक्तों को आशीर्वाद दिया। इस दौरान भक्त व श्रद्धालुओं की दर्शन को लेकर कतारबध होकर दर्शन व आर्शीवाद लिया।
मेलार्थियों का रेला
हजारों लोग मुख्य मेले में शामिल हुए। साबला, बेणेश्वर, बेणेश्वर गनोड़ा व बेणेश्वर वालाई पूल पर मेलार्थियों की खासी भीड़ रही। मेले में मेलार्थियों ने अपनी रोजमर्रा सामग्री में बर्तन, खाट, चूड़ियां व मनहारी सहित कई नाना प्रकार की सामग्री खरीदी। अस्थि विसर्जन को लेकर नदी घाटों पर मृतक के परिजनों ने मृत आत्मा को याद कर उसकी अस्थिविसर्जन कर शांति व मोक्ष की कामना की।
प्रसादी का दौर
आबुदर्रा घाट के साथ नदियों के तटों पर लोगों ने अपने दिवंगत स्वजनों की अस्थियों का विसर्जन किया। इससे पूर्व धार्मिक क्रिया कर्म भी संपादित किए। तटों पर चुरमा, बाटी, दाल व दावल का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया।
फोटो : धवल राजस्थानी