शरीर के श्रृंगार के लिए आभूषण है तो भक्तो के लिए राम नाम आभूषण होता है – संत तिलकराम महाराज



सागवाड़ा। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वाराचातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम ने आज के सत्संग में बताया कि शरीर के श्रृंगार के लिए आभूषण है वैसे ही भक्तो के लिए राम का नाम आभूषण है भक्ति ही परमात्मा का नाम है।

संत ने कहा पौधा पानी एवं खाद से फलता- फुलता है, वैसे ही सत्संग रुपी बाढ़ से भक्त भी खुशहाल होता है। भक्ति को पकडऩा हाथी को पकडने जैसा है, हर कोई इसे प्राप्त नहीं कर सकता। जहां भगवान का नाम नहीं हो वह वैंकुट भी काम का नहीं नरक में भी भगवान का नाम हो तो भक्त वहां रहना भी पसंद कर लेगें। धर्म ही परभव मे साथ जाता है, न कि धन और वैभव। आत्मा जन्मों के कर्मों से बंधी होती है तप से उसे मुक्त किया जा सकता है।

संत तिलकराम महाराज

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तप से शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि होती है। जो आत्मा को तप में अर्पित करता है, उसे देव भी नमन करते हैं। तप करने वाला ही नहीं साथ देने और स्तुति करने वाला भी पुण्य कमाता है। तनाव पकड़ और अकड़ से जन्म लेता है जब छोडऩा शुरू करते हैं तो हल्कापन आता है।

हमें धर्म के लिए जीवन में किसी न किसी रूप से तप से जुडऩा चाहिए । ज्ञानी पुरुष जब धर्म को जीवन में अपनाते हैं तो किसी को हानि नहीं होती जहां शिव है वही धर्म है। संत ने कहा की गृहस्थ व्यक्ति को अपने भोजन पर ध्यान देना चाहिए भोजन पर ध्यान दिया जाए तो गृहस्थ का जीवन और शरीर भी अच्छा रह सकता है।

भोजन का असंयम होने से शरीर में तकलीफ भी हो सकती है और फिर भक्ति में भी तकलीफ हो सकती है। प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया संत प्रसाद मधुसूदन दलाल परिवार का रहा सत्संग में नाथू परमार, अनिल सोनी, विष्णु भावसार, रमेश राठौड़, सुरेंद्र शर्मा के अतिरिक्त संगीता सोनी, चंदा सुथार, प्रेमलता सुथार, शकुंतला शर्मा, लक्ष्मी कलाल, मोती परमार, भानु सेवक समेत अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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