मुंबई/पिछले करीब 6 दशकों से kaali peeli taxi के नाम से मशहूर मुंबई की ‘प्रीमियर पद्मिनी’ आज यानी 30 अक्टूबर से ऑफ-रोड हो गई है। आखिरी टैक्सी (MH-01-JA-2556) का रजिस्ट्रेशन 29 अक्टूबर 2003 को हुआ था। चूंकि, शहर में टैक्सियों के लिए आयुसीमा 20 साल है, ऐसे में अब सोमवार से मुंबई में आधिकारिक तौर पर ‘प्रीमियर पद्मिनी’ टैक्सी नहीं चलेगी।
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी मुंबई आइकॉनिक प्रीमियर पद्मिनी टैक्सियों को ट्रिब्यूट दिया। उन्होंने कहा- ‘वे असुविधाजनक और शोरगुल वाली थीं, लेकिन कई लोगों के लिए ढेर सारी यादें लेकर गईं। और उन्होंने हमें पॉइंट A से पॉइंट B तक ले जाने का अपना काम किया। गुडबाय और अलविदा, काली-पीली टैक्सियां। अच्छे समय के लिए धन्यवाद…’
1964 में शुरू हुई थी टैक्सी के काली-पीली टैक्सियों की जर्नी
- टैक्सी के रूप में प्रीमियर पद्मिनी की यात्रा 1964 में ‘फिएट-1100 डिलाइट’ मॉडल के साथ शुरू हुई थी, जो स्टीयरिंग-माउंटेड गियर शिफ्टर वाली 1200-सीसी की शक्तिशाली कार थी। यह प्लायमाउथ, लैंडमास्टर, डॉज और फिएट 1100 जैसी “बड़ी टैक्सियों” की तुलना में छोटी थी, जिन्हें स्थानीय लोग ‘डुक्कर फिएट’ कहते थे।
- 1970 के दशक में मॉडल का नाम बदलकर “प्रीमियर प्रेसिडेंट” रखा गया और फिर प्रसिद्ध भारतीय रानी पद्मिनी के सम्मान में “प्रीमियर पद्मिनी” रखा गया। 2001 में इसका उत्पादन बंद नहीं कर दिया गया। प्रोडक्शन बंद के बाद काफी समय तक, लगभग 100-125 प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी विभिन्न कारणों से अनरजिस्टर्ड रह गईं। हालांकि, 2003 में कार डीलर अपनी कार का रजिस्ट्रेशन कराने में कामयाब रहे।
- प्रीमियर पद्मिनीज़ अपने छोटे आकार, विश्वसनीय इंजन, आसान रखरखाव के कारण लोकप्रिय थीं। हालांकि, उनका उत्पादन बंद होने के बाद, स्पेयर पार्ट्स की अनुपलब्धता मुख्य समस्या बन गई। इस कारण टैक्सियों ने मारुति सुजुकी और हुंडई मॉडल को अपनाना शुरू कर दिया। प्रीमियर पद्मिनी को बॉलीवुड फिल्मों – ‘टैक्सी नंबर 9211’, ‘खाली-पीली’ और ‘आ अब लौट चले’ में भी दिखाया गया था।
- 1954 में, जिनेवा में अपनी शुरुआत के ठीक एक साल बाद, फिएट 1100 ने भारत में आना शुरू कर दिया था। इस कार का पहला बैच सीधे इटली से इंपोर्ट किया गया था और जल्द ही मुंबई के कुर्ला में प्रीमियर की फैक्ट्री में असेंबल किया जाने लगा। 1973 के बाद से, प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड ने 1100 को अपने नाम से लाइसेंस दिया और निर्मित किया था।
विट्ठल बालकृष्ण गांधी के कारण टैक्सी का रंग काला-पीला
स्वतंत्रता सेनानी विट्ठल बालकृष्ण गांधी के कारण मुंबई की टैक्सियों का रंग पीला और काला है। विट्ठल बालकृष्ण गांधी बाद में सांसद भी बने थे। गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, सिफारिश की थी कि कैब के ऊपरी हिस्से को पीले रंग से रंगा जाना चाहिए ताकि उन्हें दूर से देखा जा सके और किसी भी दाग को छिपाने के लिए निचले हिस्से को काला किया जाए।
मुंबई की आखिरी पंजीकृत प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी के मालिक अब्दुल करीम कारसेकर है। वो प्रभादेवी में रहते हैं। इस टैक्सी का रजिस्ट्रेशन नंबर MH-01-JA-2556 है। कारसेकर ने कहा- ‘ये मुंबई की शान है और हमारी जान है।’