सांसद राजकुमार रोत ने बच्चे गिरवी रखने का संसद में उठाया मुद्दा



बांसवाड़ा डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में आदिवासियों के मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा गरीबी और विकास की कमी की वजह से दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहुल इलाकों में नवजात शिशुओं और बच्चों को बेचने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। आदिवासी बाहुल्य दक्षिणी राजस्थान में इस तरह के कई मामले सामने आये हैं।

उन्होंने कहा कि देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी हैं, लेकिन आज देश में आदिवासियों की हालत बहुत खराब है, वर्तमान में देखा गया है कि पूरे देश के अंदर अगर सबसे ज्यादा अगर कोई पीड़ित है, किसी पर अत्याचार हो रहा है, तो वो आदिवासी समुदाय है और उनकी महिलाएं हैं। आज मणिपुर का उदाहरण देख लें।

रोत ने कहा कि आज आदिवासी समुदाय की हालत इतनी खराब है कि उन्हें अपने बच्चों को गिरवी रखना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘आज से बीस साल पहले आदिवासी गरीब दलित व्यक्ति अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए, अपने बच्चों की बीमारी का इलाज के लिए जमीन और जेवरात गिरवी रखता था, लेकिन आज देखा गया है कि यह समुदाय अपनी बहन-बेटियां और अपने छोटे बच्चों को गिरवी रख रहा है। आज हमारे यहां डबल इंजन की सरकार है। लेकिन राजस्थान के अंदर आए दिन ऐसे घटनाक्रम हो रहे।’

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पिछले साल जुलाई में डूंगरपुर से कांग्रेस के विधायक गणेश घोघरा ने यह मुद्दा राजस्थान की विधानसभा में उठाया था। उन्होंने कहा था कि माएं को अपने बच्चे बेचने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है। इस पर सरकार ने यह माना था कि आदिवासी इलाकों में बच्चों को बेचा जा रहा है। सरकार ने विधानसभा में यह माना था कि 2023 से 2024 तक ऐसे सात मामले सामने आये हैं।

इसके साथ ही कहा कि सरकार के पास कुंभ में कितने लोगों ने स्नान किया वो आंकड़ा है, लेकिन मौत का आंकड़ा नहीं। यह क्यों छिपाया जा रहा है, सरकार को इसकी जानकारी देनी चाहिए।

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