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कक्षा 5 और 8 में फेल होने पर प्रमोशन नहीं: शिक्षा मंत्रालय ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को किया खत्म

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आज (23 दिसंबर) को बड़ा फैसला लिया है। शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए अब ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। ऐसे में अब साफ है कि कक्षा 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण कर दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें दो महीने के अंदर फिर से परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। अगर वह इस परीक्षा में भी वे सफल नहीं हो पाते, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। स्कूल 8वीं कक्षा तक किसी छात्र को निष्कासित नहीं करेगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को किया खत्म

आपको बता दें कि ये नया प्रावधान पहले से लागू व्यवस्था में बदलाव है, जहां 8वीं कक्षा तक विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। आज केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने के साथ ही एक लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था को बदल दिया है, इस फैसले के बाद अब क्लास 5 और 8 की वार्षिक परीक्षाओं में असफल होने वाले स्टूडेंट्स को फेल कर दिया है।

दरअसल, वर्ष 2010-2011 से 5वीं और 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को खत्म कर दिया गया था, जिसके कारण विद्यार्थियों को अगली कक्षा में भेज दिया जाता था। वह भले ही उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त न की हो, इस व्यवस्था के चलते स्कूली शिक्षा का स्तर लगातार गिरता गया, जिसकी वजह से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के न नतीजे खराब आते थे।

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नए बदलाव के साथ राज्य सरकारों को अब यह अधिकार मिलेगा कि वे चाहे तो 5वीं और 8वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा आयोजित करवा सकती हैं। शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है, जिसे ‘निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024’ के रूप में पहचाना जाएगा। यह नियम सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। इस फैसले के अनुसार सरकार का कहना है कि इस नई नीति का उद्देश्य स्टूडेंट्स की सीखने की क्षमता को बेहतर बनाना और एकेडमिक परफॉर्मेंस में सुधार लाना है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • नई शिक्षा नीति के लागू हो जाने के बाद शिक्षा प्राथमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा में कई बदलाव देखने को लगातार मिल रहे हैं।
  • ऐसे में इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य छात्रों के अध्ययन स्तर को सुधारना और शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाना है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई नीति के माध्यम से शिक्षा के स्तर में सुधार होगा।

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