सागवाडा/चंद्रेश व्यास। वागड़ में आदिवासी हितों और मुद्दों को लेकर आदिवासी परिवार की ओर से पिछले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति में क़दम रखा गया। अपने पहले क़दम राजनीतिक सफ़र की शुरुआत BTP से की और डूंगरपुर ज़िले की दो विधानसभा सीटों सागवाडा और चौरासी पर जीत हासिल कर अपने उम्मीदवारों को विधानसभा में भेजा।
दूसरी पारी आते आते एक जुट हुआ आदिवासी वोट बैंक में बिखराव नज़र आ रहा है। कारण साफ़ है कि इस बार बाप को रोकने BTP और आप मैदान में हैं। चाहे BTP हो या आप या फिर बाप इस बार चुनाव मैदान में अलग अलग हो लेकिन चेहरे वही है जो पहले एक जाजम थे पहले विधानसभा से लोक सभा में धमाकेदार राजनीतिक एंट्री के बाद पंचायती राज चुनाव में आदिवासी परिवार की एकजुटता दिखाई दी।
पंचायती राज चुनाव में आए परिणाम से डरे भाजपा और कांग्रेस एकजुट हुए और अपने जिला प्रमुख और प्रधान तक बनाए। इसके बाद लग रहा था कि आदिवासी परिवार अपने राजनीतिक वजूद को और अधिक मज़बूत करते हुए हैं इस विधानसभा चुनाव में मज़बूती से अपने उम्मीदवार खड़े करेगा। लेकिन उम्मीदवार चयन में नाराज़गी इस क़दर बढ़ गई है BTP ने अपने अलग उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। सागवाडा विधानसभा से बाप विधायक रामप्रसाद डेंडोर का टिकट काटते हुए बाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरदा निवासी मोहनलाल रोत को टिकट दिया गया। डूंगरपुर में की टिकट को लेकर बाप में घमासान है। ऐसे में इस बार बाप आदिवासी वोट बैंक को साधने में क़ामयाब हो पाएगी या नहीं यह तो चुनाव के परिणामों बता सकेंगे।