सागवाडा/दरअसल सागवाडा नगर पालिका भवन के पुन: निर्माण के लिए तत्कालीन अध्यक्ष नरेंद्र खोडनिया ने बोर्ड की बैठक बुलाई थी। जिसमें कांग्रेस समर्थित पार्षदों के बहुमत के आधार पर भवन को गिराने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के भाजपा पार्षदो ने विरोध दर्ज कराया। इसके कुछ दिन बार नगर पालिका के पुराने भवन को गिरा दिया था।
उसके साथ ही पास में एक 15 साल पुराने भवन को गिरा दिया था। जिस पर भाजपा जोड़े कार्यकर्ताओ ने न्यायलय से स्थगन लाए थे। इसी के बाद से कार्य बंद पडा हुआ था। इसके बाद विधानसभा में कांग्रेस की हार के बाद भाजपा का शासन शुरू हुआ। इसके बाद सागवाडा नगर पालिका भवन गिराने के मामले में विजिलेंस की जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र खोडनिया को निलंबित कर दिया।
वही उपाध्यक्ष मोहम्मद ईस्माइल घांची पर भी गलत तरीके से पटटे लेने का आरोप लगाकर उन्हें निलंबित कर दिया था। जिस पर पूर्व चेयरमेन नरेंद्र खोडनिया ने जोधपुर हाईकोर्ट में रीट दायर की थी। जिस पर कोर्ट की ओर से 9 जुलाई को फैसला देते हुए कहा कि भवन गिराने में बोर्ड का संपूर्ण समर्थन प्राप्त किया था। वही पुराने भवन के साथ नए भवन को गिराने में उनकी गलत भावना नही थी। इससे नगर पालिका बोर्ड के राजस्व वृद्धि, सुव्यवस्था और विकास को ध्यान में रखते हुए कार्य किया था।
वही उपाध्यक्ष मोहम्मद इस्माइल घांची को राहत दी। कोर्ट ने राज्य सरकार से जांच कमेटी की रिपोर्ट दो माह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। वही खोडनिया के निलंबन पर पुन: विचार करने की बात कही है। इन सात दिन में नरेंद्र खोडनिया को जांच में सहयोग करने, गवाह पर कोई दबाव नही डालने का शपथ पत्र देने की बात कही है। इस कोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार और स्वायत शासन विभाग, विजिलेंस से अधिकारिक जवाब नही आया है।
उनकी ओर से अधिकारित जवाब आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। फिलहाल राज्य सरकार की विधि विभाग की ओर से फैसले की समीक्षा की जा रही है। इसी के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वही इस फैसले की प्रति आने के बाद कांग्रेस में उत्साह की लहर है। शहर में ढोल नगाडे के साथ पटाखे फोडते हुए इसे अपनी जीत मान रहे है।