बांसवाड़ा/बांसवाड़ा ज़िले में इस बार विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक होते दिख रहे हैं। इस बार टक्कर जबरदस्त होती दिख रही है। जहां कांग्रेस 28 साल का इतिहास बदलने का ख़्वाब देख रही है वहीं बीजेपी पांच साल बाद फिर वापसी की उम्मीद में है। लेकिन बांसवाड़ा में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी), भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी), आम आदमी पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के राजनीतिक समीकरण बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
बागीदोरा में मालविया को भाजपा से ही मिलेगी कड़ी टक्कर
कांग्रेस के गढ़ बागीदोरा सीट की बात करें तो मंत्री और कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) सदस्य मेम्बर महेंद्रजीत सिंह मालविया इस बार अपने ही गृह क्षेत्र में घिर गए हैं क्योंकि भाजपा ने महिला उम्मीदवार कृष्णा कटारा को मैदान में उतारा है जो मज़बूत कैंडिडेट मानी जा रही हैं। बीटीपी और बाप पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार कर इस सीट पर कॉम्पिटिशन बढ़ा दिया है। भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि भाजपा के ही पूर्व प्रत्याशी खेमराज गरासिया ने यहां बग़ावत शुरू कर दी है। इसलिए वोट का नुक़सान भाजपा को भी होगा।
घाटोल में नानालाल को ना-ना करते मिला टिकट क्योंकि पार्टी में ही विरोध ज़्यादा
घाटोल विधानसभा सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस चेहरा नहीं बदल पाई जबकि प्रत्याशी नानालाल निनामा का प्रधान सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। पिछले 20 सालों से कांग्रेस यहां खाता नहीं खोल सकी। नानालाल लगातार दो चुनाव हार चुके हैं। इसके अलावा बीजेपी ने यहां पूर्व सांसद मानशंकर निनामा को टिकट दिया है। जिन पर कोई गंभीर आरोप नहीं हैं न ही कोई विरोध अब तक सामने आया है। हालांकि दोनों पार्टी के लिए यहां बीटीपी बाप और आप सहित निर्दलीय वोट बैंक तोड़ने के लिए तत्पर है।
कुशलगढ़ में इस बार रमीला को सिम्पेथी नहीं मेहनत की ज़रूरत
कुशलगढ़ में पिछले चुनाव में निर्दलीय लड़ीं रमीला खड़िया को मुख्यमंत्री की करीबी होने का फ़ायदा मिलकर टिकट तो मिला लेकिन इस बार उन्हें सिम्पेथी मिलती नहीं दिख रही इसलिए उन्हें मेहनत करने की ज़रूरत है। हालांकि सामने वही पुराना भाजपा का चेहरा भीमा भाई डामोर का ही है।
बांसवाड़ा गढ़ी में दोनों दलों को विपक्ष के चेहरे का इंतजार
ज़िले की गढ़ी विधानसभा में कांग्रेस ने तो वहीं भाजपा ने बांसवाड़ा विधानसभा में सस्पेंस बढ़ाया है। जहां प्रत्याशी के नामों का एलान नहीं किया है। इसलिए यहां वोटिंग किस ओर मुड़ेगी इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। बांसवाड़ा में बीजेपी के पास उम्मीदवारों की फ़ेहरिस्त लंबी है तो वहीं गढ़ी में कांग्रेस के पास पूर्व विधायक कांता भील से बड़ा चेहरा नहीं है लेकिन उनका विरोध कहीं ज्यादा है।