सागवाड़ा। नगर के आसपुर रोड पर सासरिया तालाब पेटे में अतिक्रमण से तालाब समाप्त होने की कगार पर है। रोहन किस्म की तालाब की जमीन को भी भू माफिया नहीं छोड़ रहे हैं।
यहां तालाब के किनारो पर अंदर तक भराव करने के साथ ही धड़ल्ले से निर्माण कार्य चल रहे हैं लेकिन सम्बंधित विभाग इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। एसे में नगर व आसपास क्षेत्र के कुओं, बावड़ियों, नल कूप व अन्य जल स्त्रोतों के जल स्तर के लिए महत्वपूर्ण साँसरिया तालाब का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है।
जानकारी के अनुसार नगर पालिका क्षेत्र में सासरिया तालाब फैला हुआ है। यहां बरसात के दिनों में पानी का संचय होता है। वही पानी सूखने के बाद यहां के खातेदार किसान खेती करते हैं। लेकिन नगर पालिका क्षेत्र में मुख्य रोड पर तालाब की यह जमीन होने से इसे बेशकीमती माना जाता है।
ऐसे में लोगों ने किनारो पर अतिक्रमण करना तो बहुत पहले ही शुरू कर दिया था लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे अब तालाब के पेटे में रोहन किस्म की जमीन पर भराव करने के साथ ही परकोटे निर्माण आदि शुरू कर दिया है।
लेकिन साँसरिया तालाब की जमीन जिसे नियमानुसार पानी नहीं होने पर केवल खेती के उपयोग में लिया जा सकता है, नियमानुसार भराव करना या इसमें निर्माण कार्य करने की मंजूरी नहीं मिल सकती है फिर भी यहां इस तरह के अवैध निर्माण कार्य हो रहे हैं। ऐसे में इसे न केवल प्रशासन और राजस्व विभाग की लापरवाही मानी जा रही है बल्कि इसमें अधिकारियों और भू माफिया की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
जानकारी के लिए बता दें कि उक्त आसपुर रोड पर सासरिया तालाब रकबा 3721 हेक्टेयर यानी 2 बीघा और 6 बिस्वा है। जिसमें से खसरा नंबर 5105 किस्म रोहन प्रथम है, लेकिन तालाब के बीच के इस भाग पर चारों तरफ परकोटा बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया है।
रोहन किस्म के तालाब के हिस्से में कतिपय लोगों द्वारा भराव करने के बाद चारों तरफ बाउंड्री वॉल कर दी गई है। जानकारी के अनुसार इसके लिए नगरपालिका या किसी भी सक्षम विभाग से कोई स्वीकृति नहीं ली गई है। हालांकि नियमानुसार तालाब पेटे में भराव करना गलत है। पानी के भराव वाले हिस्से में तालाब में पानी नहीं होने पर खातेदार किसान खेती तो कर सकते हैं लेकिन उसमें भराव करना या निर्माण कार्य करने का उनको भी अधिकार नहीं है।