सागवाड़ा की बसावट के समय से स्थापित हुए हैं रोकड़िया गंडेरी गणपतिजी

सागवाड़ा। शहर में मांडवी चौक पर रोकडिया सिद्धि विनायक गंडेरी गणपति मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र माना जाता है। गंडेरी गणपति को सागवाड़ा शहर की स्थापना का साक्षी माना जाता है, क्योंकि शहर की बसावट के साथ ही इस मंदिर की स्थापना हुई थी।

बुजुर्गों के अनुसार करीब 600 साल पहले मंदिर की स्थापना हुई थी। गंडेरी गणपति मंदिर शहर के बीच में स्थित है। इसके चारों तरफ वर्तमान शहर का विस्तार हुआ है। बुजुर्गों के अनुसार महारावल सिंहलदेव के समय में ईडर, गुजरात के हुमड महाजन अपने पुरोहित खेडुआ ब्राह्मणों के साथ मालवा की तरफ जा रहे थे। तब उन्होंने लंबी यात्रा के कारण थकान मिटाने के लिए आराम करने वागड़ की सागड़ा घाटी में पड़ाव डाला था।

सागवान के पेड़ों से भरी सागड़ा घाटी ही कालांतर में सागलपुर और वर्तमान में सागवाड़ा के नाम से जानी जाती है। ईडर के लोग यहीं पर बस गए और महारावल की आज्ञा से गंडेरी मंदिर की खुंटी गाढ़ी गई। पंडित जयदेव शुक्ला ने बताया कि यह भी किंवदंती है कि गंडेरी गणपतिजी जरूरत पड़ने पर सच्चे मन से आर्थिक सहयोग मांगने पर भक्तों को आर्थिक, रोकड़ा सहयोग देते थे। इसलिए रोकडिय़ा गंडेरी गणपति मंदिर नाम पड़ा।

मंदिर के पास में ही एक प्राचीन शिलालेख भी लगा हुआ है। गणेश मंडल के अध्यक्ष नारायण लाल बनोत ने बताया कि मंडल में करीब 30 सदस्य हैं। पूरे महीने में हर दिन अलग अलग सदस्य की ओर से आरती का लाभ लेकर प्रसाद बांटा जाता है। वहीं गणेश चतुर्थी पर हवन का बोली से लाभ मिलता है। यहां कुछ सालों से भगवान गणेशजी को 56 भोग लगाने की परंपरा भी जुड़ी है।

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