मोर्चरी में शव से पहले दुखियारे परिजनों की होती है अग्निपरीक्षा, पुलिस भी ओटले पर बैठकर बनाती है पंचनामा

मोर्चरी के अंदर दो वातानुकूलित चेम्बर बाहर बैठने और खडे रहने के लिए कोई टीनशेड नही

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सागवाडा। सागवाडा उपखंड मुख्यालय पर अ श्रेणी राजकीय उपजिला चिकित्सालय में मोर्चरी में शव के पोस्टमार्टम से पहले वहां पर पहुंचने वाले परिजनों को तकलीफ से गुजरना पडता है। चितरी, सागवाडा, कुंआ, ओबरी, सरोदा और वरदा थाना क्षेत्र में किसी भी घटना-दुघर्टना में मृत्यु होने पर बॉडी को सागवाडा मोर्चरी में रखा जाता है।

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राजकीय उपजिला चिकित्सालय में स्थित मोर्चरी में दो शवों को रखने की व्यवस्था है, लेकिन उसके विलाप और पंचनामा की प्रक्रिया के लिए कोई व्यवस्था नही है। सर्दी, गर्मी और बारिश में लोग इधर—उधर भटकते रहते हैं। मौके पर कोई बैंच, सिटिंग व्यवस्था और कोई टीन शेड नही हैं। इसके कारण लोग परेशान होते हे। मोर्चरी कक्ष के अंदर सफाई व्यवस्था संतोषजनक है लेकिन बाहर अभी भी गंदगी पडी रहती है।

कागजों में बायोवे​स्ट ले जाने का ठेका, हकीकत में मोर्चरी के पास जमा होता है अपशिष्ट

सरकारी अस्पताल से निकलने वाले सभी कचरे, बॉयो वेस्ट और अपशिष्ट को सुरक्षित निस्तारण के लिए गाइडलाइन बनी हुई है। इसके लिए उदयपुर की एक फर्म को नियमानुसार ठेका दे रखा है। जो प्रतिदिन तय रुट के अनुसार सागवाडा उपजिला अस्पताल से निकलने वाले बायोवेस्ट को ले जाती है। इसे वैज्ञानिक तरीके से उदयपुर में डिस्पोसल किया जाता है लेकिन ठेकेदार और उपजिला अस्पताल के अधिकारियों की मिलीभगत से बायोवेस्ट को प्रतिदिन या प्रति सप्ताह नही उठाया जाता है।

उसे तीन से छह माह के दरम्यान उठाया जाता है। इसके कारण मोर्चरी के बाहर जैविक अपशिष्ट संग्रहण कक्ष में पडा रहता है। जिससे अजीब प्रकार की दुर्गंध आती है। इस भयानक बदबू से मोर्चरी के पास खड़ा रहना मुश्किल रहता है। यह स्थिति न सिर्फ परिजनों के लिए मानसिक कष्टदायक है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी खतरनाक हो सकती है।

टीन शेड के लिए राजकीय उपजिला अस्पताल ने नही किया प्रयास

उपजिला अस्पताल में प्रतिदिन 500 से अधिक की ओपीडी और 50 से अधिक की आईपीडी रहती है। अस्पताल को भामाशाह के माध्यम से सुसज्जित भवन में तब्दील किया गया। इसके अलावा मोर्चरी के बाहर टीन शेड बनाने के​ लिए अस्पताल प्रशासन ने आज तक प्रयास नही किया।

सागवाडा शहर में बडे भामाशाह के सहयोग से मोर्चरी के बाहर परिजनों के बैठने और पुलिस की पंचनाम बनाने के लिए एक आरामदायक हॉल बन सकता है। इसकी पहल उपजिला अस्पताल को संभालने वाले अधिकारियों को आगे आकर करने की आवश्यकता है।

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